मानवता का सफर समय-समय पर परीक्षणों का केंद्र रहा है, और मानव या दानव इसी पर एक गहरा संवेदनशील संदेश लेकर आया है। यह पुस्तक हमें मानवता के असली स्वरूप को समझने के लिए एक सोचने के लिए प्रेरित करती है। आज के कलयुग में, मानवता का चेहरा बदल रहा है। दानवी प्रवृत्ति धीरे-धीरे मानव के अंदर उभर रही है। लूट-पाट, चोरी-डकैती, बलात्कार, और हिंसा की घटनाएं रोजमर्रा की बात बन चुकी हैं।
इसके अलावा, मानव आजकल एक दूसरे को नीचा दिखाने में ही व्यस्त हैं। मानव या दानव हमें यह याद दिलाती है कि हमें अपनी असली मानवीयता को नष्ट नहीं होने देना चाहिए। हमें एक-दूसरे के प्रति समर्पित और सहानुभूति भाव बनाए रखना चाहिए। समृद्ध समाज का निर्माण उस दिन होगा जब हम अपने और अन्यों के दानवी गुणों का सामना करेंगे और उन्हें नियंत्रित करने के लिए सक्रिय रूप से काम करेंगे।
आओ, हम साथ मिलकर एक समृद्ध और सहानुभूति से भरा समाज बनाएं, जहां हर व्यक्ति का सम्मान होता है और सभी को समान अवसर मिलते हैं। यह हमारा सामाजिक दायित्व है और हमें इसे निभाना होगा।