दोहे मध्यकालीन युग से ही हिंदी कवियों की एक प्रिय विधा रही है। हम सभी बचपन से ही कबीर, तुलसी, बिहारी, रसखान तथा गुरु नानक आदि के दोहे पढ़कर अभिभूत होते रहे हैं। यह पुस्तक कवि द्वारा आध्यात्म, नीति, जीवन यात्रा तथा हमारे जीवन में गुरु, माता- पिता प्रेम तथा वृक्ष आदि के महत्व पर रचित लगभग 315 दोहों का गुलदस्ता है जिनमें कवि ने गूढ़ विषयों को अपनी एक अलग ही दृष्टि से देखने और प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। प्रत्येक दोहा अपनी एक अलग ही ख़ुशबू लिए हुए है।
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