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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palश्रीमती उर्मिला श्योकन्द
शब्दों के ख़ियाबां में क़लम से निकले फूलों का बागीचा है मेरी पांचवी पुस्तक। इसका नाम है#नूर-ए- आफ़ताब*,,,,,. इससे पहले मेरी चार पुस्तकें : इज़हार, बेटी की पाती, उत्सव : कवीताओं की कुसुमावली और लफ़,मेरा का गुलदस्ता प्रकाशित हो चुकी है । मेरा लेखन मेरे दिल का आईना है। जब भी मेरी चित्कला कोरे कागज़ पर चलती है वह अपने आप ही विषय चुनती है कि क्या लिखा जाये। वैसे मैं स्वतन्त्र लेखन ही पसन्द करती हूँ क्योंकि यहां हम लेखन के भाव को विस्तार देते हैं। लेकिन इस पुस्तक में मैनें गज़लों का संकलन किया है।जो कि कहीं खुबसूरत ज़िन्दगी के अहसास हैं तो कहीं रिश्तों की खुशबू है। कहीं तन्हाईयों का आलम है तो कहीं इश्क की दीवानगी।
उम्मीद करती हूँ आप सभी पाठक गण मेरी पुस्तक#नूर-ए-आफ़ताब*,,, को भी आफ़ताब की तरह चमकायेंगे। धन्यवाद सहित आपकी अपनी उर्मिला श्योकन्द ।
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