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Parampad / परमपद एक विलक्षण आध्यात्मिक भाव

Author Name: Rachnakar Swami Chaitnyanand Sanklan Ramakant Sharma | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

अध्यात्म में जब गुरुकृपा होती है, आत्मज्ञान होता है, सत्य स्वरुप प्रकट होता है तो अत्यंत रोमांचक स्थिति होती है। एक दिव्य आनंद होता है।  इस स्थिति में भावपूर्ण विचार अभिव्यक्त होते हैं। ऐसी ही अभिव्यक्ति पद्य रूप में स्वामी चैतन्यानन्द जी द्वारा हुई है अपने गुरु भगवान मायानन्द जी से मिलने के उपरांत। ये कालखंड १९३० से  १९५९ के बीच की बात है। "परमपद" पुस्तिका जैसी है वैसी   ही रूप में  प्रस्तुत है। इसकी भाषा सरल है, जो    आम आदमी की समझ के अंदर है। आध्यात्मिक मार्ग के साधकों के लिए पूर्वाभास की तरह ये      कार्य करेगी, सहायक सिद्ध होगी।

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Rama Kant Sharma

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★★★★★
really the great feel. Very well explained the condition of a seeker before and after Guru is met, and even after realization.
Paperback 150

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रचनाकार स्वामी चैतन्यानन्द संकलन रमाकांत शर्मा

गुरुदेव चैतन्यानन्द जी की वाणी और उसमें प्रकट भाव ही उनका परिचय है। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में उनका प्रवास रहता था।  सन १९५९ में उन्होंने अपना शरीर त्याग किया था। अद्भुत ज्ञान प्रसार का कार्य आसपास के अन्य जिलों में भी किया था। कानपुर उनके प्रसार का विशेष क्षेत्र रहा था क्योंकि यहीं गंगाघाट पर गुरु रूप में उनकी भगवान मायानन्द जी से भेंट हुई थी।

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