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Pariva / परिवा

Author Name: Dr. Janardan Rai | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

आप ही से अपने लिए, अपने कर, कुछ लिखना उचित तो नहीं किन्तु आवश्यक सा लगता है। 'परिवा' अपरिपक्व ज्ञान एवं लड़खड़ाती हुई लेखनी की देन है। स्वर बन कण्ठ से फूटे, कलम से कागज पर उतरे शब्दों को सर्व श्री लक्ष्मीशंकर त्रिवेदी, श्री 'अनुपम' जी एवं श्रद्धेय श्री 'चतुरी चाचा' ने संवारा अतः इन त्रय कवियों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करता हूँ।

पूज्यवर आचार्य परशुराम उपाध्याय, एम.ए. (हिन्दी, मनोविज्ञान), एल.टी. का चिर आभारी हूँ जिनके प्रयास एवं परिश्रम से पुस्तक प्रकाशन

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डॉ. जनार्दन राय

परिचय

डॉ. जनार्दन राय
ग्राम व पत्रालय : नराही जनपद : बलिया, उत्तर प्रदेश भ्रमण भाष: 9532129125
• एम० ए० (द्वय), बी०एड०. पी-एच०डी०, डी०लिट्०
• हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, अर्थशास्त्र, दर्शनशास्त्र, समाज शास्त्र, शिक्षा शास्त्र आदि विषयों में स्नातक।
• प्रथम श्रेणी स्नातकोत्तर उपाधि।
• साहित्येतिहास तथा आंचलिक साहित्य में शोध।
• 'मानवीय विचार' साप्ताहिक के प्रधान सं

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