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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palप्रेम और प्रकृति दोनों शब्द ऐसे हैं जिनका कहीं न कहीं एक-दूसरे से मेल होता दिखाई देता है फ़िर चाहें वो प्रेम हो या प्रकृति दोनों में कोई भिन्नता नहीं समझ आती है।
हम खुले आसमान में बैठे हो या किसी घने जंगल में लेकिन मन अगर कोई मोह लेता है तो वो है प्रकृति और जब हमारा मन प्रेम की ओर दौड़ता तो सामने हमारे प्रकृति के दृश्य होते हैं इसलिए प्रकृति को देखकर हमारे अंदर प्रेम का उद्गम होता है और फ़िर प्रेम से प्रेम कर बैठते हैं हम यही है प्रकृति और प्रेम का एक दूसरे से लगाव ,सभी सह लेखकों ने प्रेम के साथ-साथ प्रकृति की सुन्दरता को बड़े ही सहज़ता के साथ अपने शब्दों रूपी माला में पिरोकर अपनी-अपनी सुन्दर अभिव्यक्ति को व्यक्त किया है।
1- देख प्रकृति की छ्ठा मन हो गया विभोर
गुंजत ये आवाज़ है जैसे चंद चकोर
2- प्रेम का पंक्तियों में विभाजित होना अच्छा लगता है
लेकिन दिलों से विभाजित होना नहीं
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Your review has been deleted and won’t appear on the book anymore.शिवम यादव एवं मनीषा गिरि
शिवम अन्तापुरिया, कानपुर देहात, उत्तर प्रदेश के ग्राम अन्तापुर से ताल्लुक रखते हैं इनका जन्म किसान परिवार में हुआ इण्टरमीडिएट की पढ़ाई के दौरान ही इनका मन साहित्य की ओर झुक गया और कविताएँ, कहानियाँ, गीत लिखने का शौक हो गया। अब तक दुनिया के सबसे बड़े काव्य संग्रह "बज़्म ए हिन्द" में "समस्याओं ने घेरा" नामक रचना और साहित्य नामा काव्य संग्रह में "मौन शक्ति" नामक रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं, देश-विदेश के अखबारों और पत्रिकाओं में निरंतर कविताएँ प्रकाशित हुआ करती हैं नवांकुर कवि सम्मान, साहित्य साधक सम्मान, साहित्य अटल सम्मान, साहित्य सारथी गौरव सम्मान,विश्व स्तरीय संस्था स्टोरी मिरर द्वारा साहित्य लेफ़्टिनेन्ट अवार्ड, साहित्य कप्तान अवार्ड प्राप्त हो चुके हैं, नई कलम सम्मान, युवा साहित्य संगठन द्वारा सम्मानित किए जा चुके हैं। विश्व हिंदी सचिवालय माॅरीशस, न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन एवं सृजन आस्ट्रेलिया अंतरराष्ट्रीय ई पत्रिका के तत्वाधान में आयोजित संगोष्ठियों से प्राप्त प्रमाण पत्र और आस्ट्रेलिया, माॅरीशस, कतर, कनाडा से भी सर्टिफ़िकेट, साहित्यिक योगदान के लिए मिल चुके हैं। 30 से अधिक साझा संग्रहों में रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं,सभी के प्रमाण पत्र भी मिल चुके हैं।
अब तक तीन पुस्तकों "वो देखती राहें", "प्यार में सराबोर", "कोरोना भी संघर्ष भी", में सम्पादक की भूमिका निभा चुके हैं, और अपनी मेरी पुस्तकें "राहों हवाओं में मन" 2018 में, "ख्वाबों में तुम" 2020 में, पत्थरों के दर्द 2021 में प्रकाशित हो चुकी हैं, अगली पुस्तकें एक उपन्यास और माँ पर काव्य संग्रह लिख रहे हैं।
मनीषा गिरि "मनमुग्ध"
युवा साहित्यकार एवं कवयित्री
साहित्य में उपनाम- "मनमुग्ध "
शिक्षा - बी.ए हिंदी, एम.ए हिंदी दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली, एमफिल हिंदी,पीएच.डी. (शोधार्थी) हिंदी जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर,मध्यप्रदेश
व्यवसाय- सहायक प्राध्यापक (हिंदी) जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर मध्यप्रदेश
प्रकाशन:-
आठ पुस्तकों में शोध आलेख प्रकाशित।
21 साझा काव्य संग्रहों में कविताएँ प्रकाशित।
ख्वाबों में तुम काव्य संग्रह प्रकाशित
आधुनिक हिन्दी साहित्य में स्त्री विमर्श प्रकाशित
अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में शोध पत्र वाचन एवं मंच संचालन व भारत तथा विदेशों में भी लेख, कहानी, कविताएं एवं पुस्तक समीक्षाएं प्रकाशित।
सम्मान:- निराला युवा साहित्यकार सम्मान, साहित्य उत्कृष्ट रचना, अमृता प्रीतम , नारी रत्न शिक्षक सम्मान, महाकवि नीरज, मध्यप्रदेश नारी गौरव सम्मान विश्व हिंदी लेखिका मंच, साहित्य हिन्दी सेवक सम्मान। अमेरिका व मोरिशियस में ऑनलाइन आयोजित विभिन्न विषयों पर वेबीनार एवं काव्य सम्मेलनों में पार्टिसिपेट तथा अन्य छोटे-बड़े सम्मानों से सम्मानित।&
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