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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palहिन्दुस्तान की गौरवगाथा
भारत की इस धरती को हम भारतवासी माँ मानकर पूजते हैं, जब हमारी माँ गुलामी की जंजीरों में कैद थी तब देश के कुछ वीर सपूतों ने अपनी जान की परवाह किये बिना अपनी माँ को आजादी के तिरंगे की चोली पहनाई तभी तो ये स्वतंत्रता दिवस हमारी इस आर्यवत की धरा पर महज एक कौम का नही, अपितु संपूर्ण भारत का त्यौहार है जिसे हर भारत वासी बिना भेदभाव के पूर्ण निष्ठा और हर्षोल्लास के साथ मनाता है।
15 अगस्त 1947 में 90 साल बाद जब भारत एक लोकतांत्रिक स्वतंत्र राष्ट्र बना, तब से पूरा हिंदुस्तान अपने अपने तौर तरीकों से इस पावन पर्व को मनाता आया है कहीं तिरंगा लहराकर, तो कही आजादी के गीतों से सजे राष्ट्रीय कार्यक्रमों में अपना उत्साह दिखाकर, तो इस स्वतंत्रता दिवस हम कवि गण ने भी ये सोचा कि इस बार जश्न हम भी अपने तरीके से मनायेंगे तो इसी राह में कुछ कदम आगे बढ़ाकर भारत के भिन्न भिन्न प्रांतों के कुछ कवियों ने प्रस्तुत की हैं अपनी भावनाएं इस सारगर्भित संकलन के रूप में, आशा है पाठकों को हमारा ये प्रयास पसंद आये और हम भी आजादी के पर्व में अपनी सहभागिता सलग्न कर पाएं।
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ऐश्वर्या त्रिपाठी, शैली जैन
ऐश्वर्या त्रिपाठी, ह्यूमैनिटीज़ की छात्रा है। यह उत्तर प्रदेश जिला कुशीनगर की रहने वाली है। इन्हें लेखन की प्रेरणा अपने शिक्षक (युसुफ खान) और अपने माता पिता से मिली, जिन्होंने हमेशा इन्हें लिखने के लिए प्रोत्साहित किया। ऐश्वर्या साहित्य में काफी रुचि रखतीं है, और यह प्रयास करतीं हैं, कि वो और बेहतर लिख सकें।
साहित्य के क्षेत्र में इन्होंने कई उपलब्धियां प्राप्त की है। ऐश्वर्या अबतक कुल 75 साहित्यिक संकलनों का हिस्सा रह चुकि हैं, 10 किताबों का स्वयं संकलन कर चुकि हैं, इन्हें अपनी पुस्तक "100 SAINOS" जो की अपने तरह की पहली पुस्तक है, के लिए विश्व रिकॉर्ड मिल चुका है। लेखन के साथ-साथ यह समाज सेवा का भी कार्य करतीं हैं, और इन्होंने वैश्विक महामारी के समय अनेक संस्थानों के साथ स्वयं सेवा का कार्य भी किया। आप इनकी रचनाएँ इनके इंस्टाग्राम आइडी: aishwarya.838 पर पढ़ सकते हैं।
शैली जैन एक छोटे से गाँव बरोदिया, कलां सागर (मध्यप्रदेश) की रहने वाली महत्वाकांक्षी, सादगी से पूर्ण तथा सरल व्यक्तित्त्व रखती हैं। ये अभी तक १००+ संकलनों में सह लेखिका रह चुकी हैं। एवं "लफ्जों का खेल", राखी प्रेम का धागा, फेक स्माइल, मूडी फूडी, और ब्लैक रोज, जैसी किताबें इन्होनें स्वयं संकलित की है। "दिल्ली टू आगरा" इनकी प्रथम सोलो किताब है। एक साल पहले ही इन्होनें अपनी लेखन कला को बढ़ावा दिया इन्हें कहानी व कविताएं लिखना बहुत पसंद है। इनकी कविताएं अक्सर इनकी भावनाओं को व्यक्त करती हैं।
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