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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal"सही कैरियर मार्गदर्शन" विद्यार्थियों के लिए बनाया गया, एक ऑनलाइन कोर्स है, जो कि विद्यार्थियों के ही आग्रह पर, पुस्तकीय रूप में बनाया गया है, जो सही कैरियर मार्गदर्शन हेतु, बहुत से अलग-अलग माध्यमों से प्राप्त ज्ञानों का निचोड़ है, जो कि उन विद्यार्थियों के लिए है, जो कम समय में और आसानी से, सही कैरियर मार्गदर्शन लेना चाहते हैं, जो बहुत सारी किताबों को खरीदने, पढ़ने और इंटरनेट पर सही जानकारी प्राप्त करने के लिए, सक्षम नहीं होते व जिनके पास समय का अभाव होता है। यह कोर्स बेहद प्रैक्टिकल है, क्योंकि जिंदगी थ्योरी से नहीं चलती। इसलिए क्रान्तिकारी सिद्धांत पर आधारित “सही कैरियर मार्गदर्शन” कोर्स की मदद से, अपने सफल जिंदगी की शुरुआत करें,
क्योंकि इसमें है आदतों का ज्ञान, समय का ज्ञान, गुणों का ज्ञान, लोगों का ज्ञान, खूबियों का ज्ञान, हुनर का ज्ञान, कैरियर का ज्ञान, लक्ष्य का ज्ञान और जिंदगी का ज्ञान।
जो आपको इन सभी के बारे में आसान, सरल व सार शब्दों में सही ज्ञान देगा जो कि बहुत ही आवश्यक है क्योंकि गलत काम को सही ढंग से करने का कोई फायदा नहीं होता लेकिन इस पुस्तक को पढ़ने के बारे में सोंचना बिल्कुल गलत नहीं है क्योंकि ज्ञान कभी भी व्यर्थ नहीं जाता।
मुझे समझ आया, कि विद्यार्थियों के लिए एक ऐसा कोर्स होना चाहिए, जो उनके कैरियर के लिए नींव का पत्थर साबित हो, इसलिए मैं यह कोर्स बुक बनाया हूँ, ताकि मैं नई पीढ़ी को बदलते दौर के साथ, सही मार्गदर्शन दे सकूँ, ताकि वे अपने सफल जिंदगी की शुरुआत कर सके।
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Your review has been deleted and won’t appear on the book anymore.विनयपाल टण्डन
मेरा नाम विनयपाल टण्डन है। मेरे पिताजी का नाम श्री गंगाराम टण्डन व माताजी का नाम श्रीमती गीता टण्डन है। मेरा जन्मतिथि 17-02-1998 है। मैं छत्तीसगढ़ राज्य के जांजगीर-चांपा जिले के बिलारी गाँव का मूलनिवासी हूँ। मैं जिज्ञासु हूँ जो हमेशा अपने ज्ञान को बढ़ाने में रूचि रखता हूँ, और प्रतिदिन खुद को अपने पिछले दिनों से बेहतर बनाने का प्रयास करता हूँ, मुझे थोड़ा सा भी समय मिलता है तो, मैं हमेशा कुछ न कुछ सीखते रहता हूँ और अपने ज्ञान को बढ़ाते रहता हूँ।
मैं 12 साल की उम्र से ही अपने पाठ्य पुस्तक में से सामान्य ज्ञान खोज कर अलग से कॉपी में लिखना प्रारंभ कर दिया था, फिर घर वालों से जिद करने लगा कि मैं अपना पुस्तक बनाऊंगा, लेकिन उस समय घर वाले बोले कि उम्र बहुत छोटी है, अभी सिर्फ पढ़ाई करो, अपना ज्ञान बढ़ाओ। फिर मैं अपने माता पिता का बात माना और अपने ज्ञान को बढ़ाने में, कुछ सीखने में लग गया। फिर एक समय ऐसा आया कि अपने खर्च से बचाए गए पैसों से और कुछ लोगों के मदद से अपने गाँव में पुस्तकीय सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता आयोजित करता था, जिसे आगे बढ़ाते बढ़ाते 5 साल तक चलाया। फिर मैं उच्च शिक्षा इंजीनियरिंग के लिए चला गया और वहाँ भी समय का सही उपयोग करना सीखा और कुछ नया से भी नया सीखने में लग गया और इतने सालों तक सीखने पर मुझे समझ आया, कि विद्यार्थियों के लिए एक ऐसा कोर्स होना चाहिए, जो उनके कैरियर के लिए नींव का पत्थर साबित हो, इसलिए मैं यह कोर्स बनाया हूँ, ताकि मैं नई पीढ़ी को बदलते दौर के साथ, सही मार्गदर्शन दे सकूँ, ताकि वे अपने सफल जिंदगी की शुरुआत कर सके।
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