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SAPTSHATISADHANARAHASHYAM / सप्तसतीसाधनारहस्यम् श्रीदुर्गासप्तशतीःएक अध्ययन

Author Name: Kamlesh Punyark(guruji) | Format: Paperback | Genre : Others | Other Details

“सप्तशती” नाम से सर्वसाधारण का ध्यान सबसे पहले श्रीदुर्गा सप्तशती नामक देवीचरित पर ही जाता है, तत्पश्चात् एक और बहुचर्चित सप्तशती का ध्यान आता है – श्रीमद्भगवद्गीता का। चूँकि इन दोनों ग्रन्थों में सात सौ श्लोकों वा सात सौ मन्त्रों का प्रयोग हुआ है, इस कारण सप्तशती नाम की सार्थकता सिद्ध होती है। 

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कमलेश पुण्यार्क (गुरुजी)

श्री कमलेश पुण्यार्क एक बहुश्रुत नाम है लेखन और प्रकाशन जगत में। अद्यतन सोशलमीडिया में भी आप छाये हुए हैं।

www.punyarkkriti.youtube.com पर वास्तु और ज्योतिष सम्बन्धी आपके शताधिक व्याख्यान उपलब्ध हैं। आपके ब्लॉग www.punyarkkriti.blogspot.com को   श्रेष्ठ हिन्दी ब्लॉग की सूची में सन् २०१६ में ही शामिल किया जा चुका है। अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी गद्यकोष पर आपकी प्रायः रचनायें उपलब्ध हैं। आपकी कुछ पुस्तकों को ओशाका विश्वविद्यालय, जापान के केन्द्रीय पुस्तकालय में भी स्वीकृत की गयी हैं। अमेजन, फ्लिपकार्ड, एक्जोटिक जैसे ऑनलाइन मार्केट में भी आपकी पुस्तकें सुलभ हैं। 

आपकी बहुआयामी अबाध लेखनी विगत ५० वर्षों से हिन्दी साहित्य के अतिरिक्त तन्त्र, ज्योतिष, वास्तु एवं चिकित्सा जगत् को समृद्ध करती रही है। आकाशवाणी पटना एवं राँची से समय-समय पर कहानियाँ एवं आलेख प्रसारित होते रहे हैं। मगबन्धु, दिव्यरश्मि, राष्ट्रधर्म, दहेजदानव, शुभचिन्तिका, धर्मायण, अद्यतन कालक्रम आदि विभिन्न पत्रिकाओं में भी आपके आलेखों को स्थान मिलता रहा है।

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