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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palअपनों के सफेद बालों को देखा तो मर्माहत हुआ-- सर्व सत्य पर आहत क्यों? क्योंकि कई-कई महीनों के अंतराल पर मैं देखता था चेहरे पर निरंतर बढ़ती झुर्रियों को बालों की बढ़ती सफेदी को हाथ-पैरों की क्रमशः बढ़ती कंपन को अवसान एक उम्र की उमंग का...एक दौड़ का... मगर इस सच्चाई को बरदाश्त नहीं कर पाता था और मैं उन्हीं अपनों को जिनसे मैं तादात्म्य की तीव्र हूक रखता था उन्हीं को छोड़-छोड़ कर इधर-उधर भागता रहता था , भागता रहता हूं ...
मगर मौसम पीछा नहीं छोङते। वापस आ जाते हें लेकिन हम सब कुछ खो आते हैं - उम्र अपनी और अपनो की । हर बीते हुए पलों के साथ जो कुछ भी पीछे छूट जाता है उसकी जरा सी याद ही मौसम की हवाओं के साथ तड़पाती रहती हैं। हर मौसम एक अलग तरह की याद लेकर आता है और पूरे वजूद को झकझोर देता है । उन्हीं झकझोरते पलों मे उन्ही यादो ने गाया है ये दर्द।
आदित्य कुमार डागा
आदित्य कुमार डागा एक सलाहकार की हैसियत से कई वर्षो तक विविध कार्यो में रत रहे। एक प्रोजेक्ट सलाहकार के साथ साथ स्व शिक्षित ज्योतिष सलाहकार भी रहे । चित्रक, कवि व कई ब्लाग लिखें।
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