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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal‘होनहार बिरवान के होत चिकने पात’ यानी प्रतिभा की पहचान व्यक्ति के आरंभिक चरण से ही अपना प्रदर्शन करना शुरू कर देती है। प्रतिभावान व्यक्ति लम्बे समय तक किसी भी भीड़ से गुम नहीं रह सकता। उसमें छुपी उसकी प्रतिभा एक न एक दिन उसे शोहरत के पथ पर अग्रसर कर ही देती है। यह बात गाँव बड़वा के उभरते कवि, शायर सत्यवान ‘सौरभ’ पर बिल्कुल सटीक बैठती है। छात्रकाल से ही लेखन के क्षेत्र में रूचि रखने वाले इस अदने से कच्ची उम्र के शायर ने अपनी ग़ज़लनुमा कविताओं के माध्यम से ख्यालों-जज्बातों की दुनिया को किसी नई नवेली दुल्हन की तरह इस कदर सँवारा है कि ग़ज़लों में कहीं भी इनकी उम्र का आभास नहीं होता।
ख़ूने जिगर से लिखी तमाम ग़ज़लें एक ओर जहाँ सत्यवान ‘सौरभ’ कि पीठ थपथपाती है वहीं दूसरी ओर अन्य नवोदित कलमकारों को भी लेखन के क्षेत्र में उत्साहित करती है। सत्यवान ‘सौरभ’ के प्रथम ग़ज़ल संग्रह ‘यादें’ के लिए मैं इन्हें ढेरों शुभकामनाएं देता हूँ औऱ इसके काव्यमयी उज्जवल भविष्य की कामना करने के साथ-साथ यही कहूंगा-
"देखनी है तो इसकी उमर देखें
गलतियां नहीं इसका हुनर देखें।
दबे पैर सोये जज्बात जगाकर,
सौरभ की यादों का असर देखें।।"
यादों के बीच से गुजरते हुए लगता है कि सौरभ इस आग के दरिया को तैर कर पार निकल आए हैं। बिना डूबे, बिना जले। लेकिन ऐसा संभव ही नहीं है। उनकी देह नहीं डूबी, डूबा है उनका दिल। उनकी देह नहीं जली, जला है उनका दिल। जो स्थूल आंखों से दिखाई देना संभव नहीं। तभी तो वह किसी जुनूनी की तरह घोषणा करते हैं-
दिल नहीं पत्थर है वह हर दिल,
जो किसी पे मरता नहीं है।
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Your review has been deleted and won’t appear on the book anymore.डॉ. सत्यवान 'सौरभ'
हरियाणा की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और शैक्षिक नगरी और भिवानी की धरा बड़वा गाँव के निवासी समभावी और विचारशील लेखक डॉ. सत्यवान सौरभ का जन्म 03 मार्च 1989 को पिता श्री रामकुमार रिछपाल गैदर माता कौशल्या देवी के परिवार में सबसे बड़े पुत्र के रूप में हुआ। आप चार भाई-बहन हैं। आपका विवाह प्रियंका सौरभ से 2016 में सम्पन्न हुआ। आपके प्रारंभिक जीवन का परिवेश कभी भी उत्साहवर्धक नहीं रहा, परिस्थितियां हमेशा विषम बनी रही। जीवन में उत्साह के परिवेश का उजास आपको जन्म के 22 साल बाद प्राप्त होने आरम्भ हुआ जब आपने सरकारी सेवा में प्रवेश किया और विभागीय कार्य करते हुए 2019 में राजनीति विज्ञान विषय से स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की तथा पीएच. डी. के लिए पंजीकरण करवाया।इनका लेखन और जीवन लोगों को इस कद्र प्रेरित करते हैं कि हर कोई ये सोचने पर मजबूर हो जाता है कि विपरीत परिस्थितियों पर धैर्य से जीत हासिल की जा सकती है-
तू भी पायेगा कभी, फूलों की सौगात।
धुन अपनी मत छोड़ना, सुधरेंगें हालात।।
तूफानों से मत डरो, कर लो पैनी धार।
नाविक बैठे घाट पर, कब उतरें हैं पार।।
सुख-दुःख जीवन की रही, बहुत पुरानी रीत।
जी लें, जी भर जिंदगी, हार मिले या जीत।।
सौरभ की उपलब्धियों पर उन्हें सैंकड़ों राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। लेखन में भी संपादकीय लेखक के रूप में आपने विशिष्ठ पहचान कायम की है। सभी विधाओं पर आपका लेखन हरियाणा तक ही सीमित नहीं रह कर देश के संदर्भ में भी व्यापक स्वरूप लिए हैं। आपके आलेख और पुस्तकें तथ्यात्मक, सूचनात्मक और शोध परक होने से शोधार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध हुए हैं। इनकी रचनाएं बड़ी संख्या में हज़ारों सरकारी एवं गैर सरकारी पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित हो रही हैं। इसी दौर के समाचार पत्रों में ने निरंतर आपकी रचनाओं को प्राथमिकता से प्रकाशित किया गया है। विभिन्न विषयों के साथ-साथ खास तौर पर सम्पादकीय और दोहे लिखने की महारत के फलस्वरूप इन्हें विभिन्न संस्थाओं द्वारा कई अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय पुरस्कार और सम्मान से सम्मानित किया गया है। तितली है खामोश (दोहा संग्रह), कुदरत की पीर (निबंध संग्रह), यादें (ग़ज़ल संग्रह), परियों से संवाद (बाल काव्य संग्रह) और इश्यूज एंड पैन्स (अंग्रेजी निबंध संग्रह) प्रज्ञान (बाल काव्य संग्रह), खेती किसानी और पशुधन (निबंध संग्रह) डॉ. सौरभ की प्रमुख पुस्तकें हैं। इनके साथ-साथ सैंकड़ों पुस्तिकाओं और स्मारिकाओं का लेखन, संपादन एवं प्रकाशन कर सृजन सन्दर्भों को समृद्ध किया है।
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