Hindi

एक साथ खड़े होने का वक्त आ गया है
By Shubham Tiwari in Poetry | वाचलं गेलेलं: 461 | लाइक: 1
एक साथ खड़े होने का वक्त आ गया है  चलो अब लडने का वक्त आ गया है    ऊब सा गया हूँ चुपचाप बैठकर  कुछ कर गुजरने का वक्  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख Mar 23,2020 04:16 PM
एक साथ खड़े होने का वक्त आ गया है
By Shubham Tiwari in Poetry | वाचलं गेलेलं: 302 | लाइक: 1
एक साथ खड़े होने का वक्त आ गया है  चलो अब लडने का वक्त आ गया है    ऊब सा गया हूँ चुपचाप बैठकर  कुछ कर गुजरने का वक्  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख Mar 23,2020 04:17 PM
मैं और तुम
By Teesha Rathore in Poetry | वाचलं गेलेलं: 331 | लाइक: 2
मेरे दिल के अरमानों में तुम अपनी खुशी के फसाने ढूंढ लेना मैं बेलेहजे में मुस्कुराऊं तो तुम मुझे अपनी आबरू का चोला उ  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख Mar 23,2020 04:18 PM
क्या वाकई रुक सकती थी भगत सिंह की फांसी
By mukeshkumarairwal@gmail.com in Mystery | वाचलं गेलेलं: 430 | लाइक: 0
असेंबली बम कांड में गिरफ्तारी देने के बाद 6 जून 1929 को भगत सिंह ने अदालत में एक लंबा बयान दिया था उन्होंने कहा था असेंब  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख Mar 23,2020 04:21 PM
je tu mainu mil jaave
By Shalvi Singh in Poetry | वाचलं गेलेलं: 266 | लाइक: 0
main hova subah, tu bana suraj, meri ankhan neendra din dhal jaave, Qismat de hath te fisal yaara, kive tainu samjhaave, je tu mainu mil jaave... haye mainu kinni sang aave.....  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख Mar 23,2020 04:21 PM
तेरी कमी में मेरी ज़िंदगी ✨
By Teesha Rathore in Poetry | वाचलं गेलेलं: 455 | लाइक: 0
रंग ही तो था तेरे चेहरे पर  उतर भी गया तो क्या ? तेरी नकाब पोशी का चेहरा  खुल भी गया तो क्या ? तेरी झूठी आबरू का चोला&  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख Mar 23,2020 04:22 PM
मेरे फरिश्तों की यादें❤️
By Teesha Rathore in Poetry | वाचलं गेलेलं: 434 | लाइक: 0
वो भी क्या दिन थे जब सर्दियोँ के साथ बाबा की डाँट आती थी स्वेअतर और टोपी पहन लो  वो भी क्या दिन थे जब दादी बाबा स छुप   आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख Mar 23,2020 04:24 PM
देश हित
By TarunTyagi in Poetry | वाचलं गेलेलं: 714 | लाइक: 0
मुसीबत की इस घड़ी में सभी देहवासिओं से अनुरोध है कि घर रहकर ही इस महामारी को जड़ से खत्म करने में अपना सहयोग प्रदान कर  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख Mar 23,2020 04:44 PM
निश्चिन्तता
By SURENDRA ARORA in General Literary | वाचलं गेलेलं: 413 | लाइक: 0
लघुकथा    निश्चिन्तता    " आजकल  धरती में  पानी कम तो है ही  खारा भी बहुत है । " " इसीलिये  बोरिंग की गहराई बढ़  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख Mar 23,2020 04:51 PM
अँधेरों से डर अब भी लगता है...
By Writer's Hub in Poetry | वाचलं गेलेलं: 5,404 | लाइक: 5
अकेला ना करना मुझे कभी... अँधेरों से डर अब भी लगता है... दुनिया है बड़ी मुश्किल... पर ये दिल अब सिर्फ तेरे संग ही चलता है...   आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख Mar 23,2020 05:22 PM
हिन्दू मुस्लिम की प्रेम कहानी
By Writers Platform in Poetry | वाचलं गेलेलं: 308 | लाइक: 1
हमारे आसमां में भी यहां तक की धर्म की दीवार है मैं हिन्दू हूं , तू मुस्लिम है ये दुनिया ने बांट रखी है अगर सब इंसान हो  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख Mar 23,2020 06:00 PM
फिर से
By Amar 'Hindustani' in Poetry | वाचलं गेलेलं: 337 | लाइक: 1
इक दूजे को यादों में बुलाएं फिर से आओ चलो हम मिल जाएं फिर से तुम जो रूठे ज़माना रूठ सा गया है ग़र‌ मानो तुम तो हम मना  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख Mar 24,2020 10:35 AM
ग़ज़लों से नज़्म का सफर..
By Uvais Girach A. in Poetry | वाचलं गेलेलं: 285 | लाइक: 1
1) Ghazal : जंगल.. सेहरा, मट्टी,  दरिया, जंगल.. इनमें ‌ सबसे   गेहरा  जंगल.. दिल में हां, एक सेहरा ही था, मेरी  आंखों  मे  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख Mar 23,2020 06:43 PM
संघर्ष पथ
By Anjaney Rai in Poetry | वाचलं गेलेलं: 253 | लाइक: 1
 संघर्ष के इश पथ पर | सब बैठ गए तू बढ़ चल ||  आंधियां है इस पथ पर | सब झुक गए तू उठ चल || अंधियारे है ईन रातो मे | सब जुगनू ब  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख Mar 23,2020 06:57 PM
बेबसी
By Iqbal Ahmad in General Literary | वाचलं गेलेलं: 895 | लाइक: 2
बेबसी  क्या है ? क्या लज़ीज़ खाने  की ख़्वाहिश होने पर सिर्फ़ दाल रोटी का मुहय्या हो पाना बेबसी है ? या फिर एक बड़ा अफ़सर   आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख Mar 23,2020 09:37 PM