“इस डर से नहीं पढता कि इमोशनल न हो जाऊं” सच कहूँ जब मेरे मित्र ऐसा कहते हैं तो सोच में पड़ जाता हूँ। भीतर खुशी भी होती है कि जो कह रहा हूँ वह दिल और दिमाग को चीर कर पढ़ने वाले को अंतस्तल तक स्पर्श कर रहा है । जिंदगी एक लाइव परफारमेन्स है । यहां जो कुछ हुआ उसका रिपीट टेलीकास्ट नहीं होता । यह जिंदगी किसी हसीन फिल्म की तरह है , बस फर्क यह है कि यहां आपको अपने सींस के शॉट री टेक का मौका नहीं मिलता।
सो न जाने क्यों जब भी कुछ कहता हूँ तो म