इस जहान में जहाँ हर इंसान जीवन की आपा-धापी में खोया खुद से दूर महसूस करता है, यह संरचना उन सब के लिए इस जीवन रूपी मरुस्थल में एक नख़लिस्तान की तरह है। यह शायर के अंदर के शोर, द्वन्द, और उस से निकलने की कोशिश को बखूबी बयान करती है। यह एक सफ़र है, जहां कहीं शायर एक पेचीदा इंसान नज़र आता है, तो कहीं एक रूमानी आशिक़, जो हक़ीक़ी और फ़लसफ़े के बीच में उलझा महसूस करता है। यूँ तो इस संरचनात्मक प्रति के शब्द लेखक के दिमाग़ की उपज हैं मगर यह एक आशिक़ के दिल का फ़साना, या यूँ कहें कि शायर के दिल के ऐसे अनमोल लम्हे हैं जो हरदम समय से परे कहीं देखने की ख्वाहिश रखते हैं। यद्यपि यह कृतियाँ शायर के पच्चीस सालों के सफ़र और उस में हासिल किए तजुर्बों का गुलदस्ता है, मगर हर पढ़ने वाले के लिए इनके माने अलग हो सकते हैं। यह शायर के ख़्वाबों का आईना है, उसको पाने की जुस्तजू है, इस जीने और मरने के द्वन्द से निकलने की कोशिश है।
शायर यह आशा करता है कि यहाँ संकलित ग़ज़लें, नज़्में और कविताएँ ना सिर्फ़ आपके जीवन में घटित लम्हों का आईना बनेंगी अपितु आपके दिल और दिमाग़ में उपजे सवालों का जवाब भी बनेंगी।
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