वैदिक ज्योतिष में शनि को कर्म या न्याय का देवता कहा गया है। यह गुण, पूर्णता, नैतिकता, न्याय, करियर, जीवन में उपलब्धियां, सात्विक गुणों के मूल्यों से जुड़ा ग्रह है। यह दीर्घकालिक योजना या कार्य करने की दूरदर्शिता से जुड़ी चिंता का भी प्रतिनिधित्व करता है। ज्योतिष के अनुसार शनि जिस कुंडली में विराजमान होते हैं और जिन ग्रहों को वह देखते हैं या जिन घरों के स्वामी होते हैं, उन पर उनका विशेष ध्यान होता है। उस कर्म को सुचारू रूप से चलने दो, वे बस यही काम देखते हैं। और गलती करने पर सजा दी।
आये सभी पहलुओं पर बात करते है की इन का असर हमारे जीवन में किस प्रकार से होता है और तकलीफ की स्थिति में उपाय क्या है
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