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दस कविताएँ ख़ज़ालत के पर्दों के पीछे

Author Name: कविकुमार सुमित | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

‘दस कवितायेँ’ पुस्तक के लेखक (कवि) कविकुमार सुमित हैं | पुस्तक ‘दस कवितायें’ सभी आयुवर्ग के पाठको के लिए संकलित की गयी है, हिंदी साहित्य में एक छोटा सा योगदान प्रेषित करने वाली इस पुस्तक के प्रमुख अंग प्रेम, प्रेरणा, वात्सल्य एवं राष्ट्रप्रेम हैं | कुछ लोग इस जीवन को बहुत ही कठिन ढंग से प्रस्तुत करते हैं, असफलताओं के पश्चात् और अधिक न करने का निर्णय ले लेते हैं एवं जीवन को एक उद्देश्य रहित धारा के रूप में बहने पर मज़बूर कर देते हैं | इस पुस्तक में संकलित कवितायेँ ‘शिखर की तू तलाश कर’ एवं ‘तेरा कोई तोड़ नहीं’ ऐसे ही वर्ग विशेष को उद्बोधित करती हैं | नवयुवको को लग रही लत और उनकी जानने की प्रबल इच्छाओं के सुखद और दुखद परिणाम इस पुस्तक में निहित प्रसंगो में से एक हैं | लेखक (कवि) ने जीवन के बहुतेरे सत्यों को सरल हिंदी एवं उर्दू भाषाओँ में उजागर किया है, विशेष रूप से उन दस कविताओं का संग्रह जो लेखक की अब तक की मेहनत और विश्लेषण क्षमता को मूल्यांकित करती हैं, आकर्षक है | कला और संस्कृति का महान अग्रणी देश किस प्रकार से पाश्चात्य सभ्यता की चपेट में आ गया एवं इसके क्या दुष्परिणाम हैं, कविताओं ने स्पष्ट किया है | क्यूंकि लेखक (कवि) मुख्य रूप से श्रृंगार एवं वीर रसों का प्रतिनिधित्व करता है, अतः इन दोनों रसों की एक मनोरम छटा देखने को मिलती है |

 

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कविकुमार सुमित

कविकुमार सुमित का जन्म 1 अप्रैल सन् 1998 को, मध्यप्रदेश के रीवा जिले की ‘चौड़ियार’ ग्राम पंचायत में हुआ | इनके पिताजी का नाम श्री रामकृष्ण सेन है एवं माताजी का नाम देवी सुनीता सेन है | पिताजी पेशे से शिक्षक हैं एवं समाजसेवी हैं, माताजी गृहणी हैं | प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा इन्होने गाँव में ही पूर्ण की, घर में पारिवारिक कलह होने के कारण शिक्षा में अप्रिय परिणामों का अनुमान लगा कर माताजी छोटी बहन के साथ इन्हें लेकर शहर आ गईं | शहर में ही इन्होने हाईस्कूल एवं मीट्रिक की परीक्षायें प्रथम श्रेणी में उतीर्ण कीं | सन् 2015 में, इनकी लेखन प्रतिभा को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने इन्हें राज्य प्रतिभा सम्मान 2015 से सम्मानित किया | बचपन से ही काव्य एवं लेखन में रूचि रखने वाले ‘लेखक’ के निजी एवं काव्य जीवन पर उनके पिताजी की विचार शैली, स्थानीय समाजसेवी श्री सुभाष श्रीवास्तव की भाषण शैली एवं दादाजी की गेय शैली का गहरा प्रभाव है | लेखक(कवि) द्वारा रचनाएँ मुख्यतः श्रृंगार एवं वीर रस में लिखी गयी हैं | इनकी रचनाओं में उर्दू शब्दों का मेल पाठकों को प्रथम दृष्टया ही आकर्षित कर लेता है | कविकुमार सुमित स्थानीय एवं देशी स्तर के साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंचो पर भी अपनी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं | पंद्रह उम्र की आयु से कवितायेँ लिखने वाले कविकुमार सुमित का मानना है कि “सच में हमारी किस्मत हमारे हाँथो में ही लिखी होती है क्यूँकि सभी कर्मो में करों का ही योगदान रहता है |”

 

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