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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palसत्य की तलाश में विरले लोग ही निकलते हैं, क्योंकि सत्य को जानने की यात्रा अंतहीन प्रतीत होती है। यथार्थ को जानने निकले कुछ लोग सत्य तक पहुंच नहीं पाते और कुछ को पहुंचने नहीं दिया जाता। यदि कोई शाश्वत सत्य के साथ खिलवाड़ करेगा तो वह संपूर्ण प्रकृति की बर्बादी का जिम्मेदार भी होगा। प्राय: कुछ चालाक लोग निजी स्वार्थों की पूर्ती के लिए किसी भी मनगढ़ंत कहानी को सत्य साबित करने के प्रयास में लगे रहते हैं। कुछ तथाकथित विद्वान भी झूठी परिकल्पनाओं के माध्यम से सार्वभौमिक सत्य की निर्मम हत्या आए दिन करते रहते हैं। मानवता को बचाए रखने के लिए ऐसे तमाम दुष्ट लोगों को रोकना बहुत जरूरी है। इतिहास में कुछ ऐसे विद्वान भी हुए हैं, जो संभवत: सत्य तक पहुंचे हैं। उनमें गौतम बुध, महावीर स्वामी, कन्फ्यूशियस, अरस्तु, सुकरात, कबीर दास, गुरु नानक, श्रीअरविंद, ओशो आदि प्रमुख हैं। सत्य को जानने में अध्यात्म सहायता कर सकता है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि अध्यात्म के बगैर सब कुछ मिथ्या है। संभवत: सत्य की खोज में निकले प्रत्येक व्यक्ति को बहुत सी समस्याओं का सामना पड़ता करना है, लेकिन सभी समस्याएं सत्य की खोज में निकले व्यक्ति को सफलता की ओर ले जाती हैं। आइए एक ख़ास यात्रा पर चलते हैं, सत्य की तलाश में...
श्री समीर
श्री समीर का जन्म उत्तर प्रदेश राज्य के बागपत जनपद में हुआ है। उन्होंने बागपत के एक कस्बे बड़ौत से अपनी हाई स्कूल, इंटरमीडिएट, ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की शिक्षा प्राप्त की है। इतिहास के प्रसिद्ध विद्वान डॉ० प्रज्ञान चौधरी एवं डॉ० शोकेन्द्र कुमार शर्मा के सानिध्य में इन्होंने वर्ष 2019 में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ को एम० ए० इतिहास में टॉप किया। फिलहाल आप शोधार्थी के रूप में अपने शोध कार्य को गंभीरता से करते हुए दिगंबर जैन (पी. जी.) कॉलेज बड़ौत, बागपत से पी-एच० डी० कर रहे हैं। । बाल्यकाल से ही जिज्ञासु स्वभाव होने के कारण श्री समीर दुनिया की प्रत्येक वस्तु को संदेह की दृष्टि से देखते हैं। सूक्ष्म विश्लेषण के पश्चात ही आप किसी निष्कर्ष पर पहुंचते हैं। गहन चिंतन की आदत के कारण ही आप अन्य तमाम आम लोगों से भिन्न हैं। एक शोधार्थी होने के नाते इनका कर्तव्य बनता है, कि ये लोगों को जागरूक करें एवं सत्य से उनका परिचय कराएं। इसीलिए आप सत्य की अंतहीन तलाश में है...
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