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Bharat me Badte huye Apradh ek drasti / भारत में बढ़ते हुए सामाजिक अपराध- एक दृष्टि

Author Name: Dr. Raj Kumar Verma | Format: Paperback | Genre : Educational & Professional | Other Details

समाज में बढ़ते हुए अपराधों की स्थिति वर्तमान परिदृश्य में चिन्ताजनक हैं। यदि हम 21वी सदी में अपराधों के बढ़ते क्रम को देखते है तो सूचना प्रौधोगिकी भी कहीं न कहीं इसके लिए जिम्मेदार है। क्योंकि कम्प्युटर व मोबाइल के दौर में इन्टरनेट 4जी की स्पीड से चलता है। जितना विकास सूचना प्रौधोगिकी के विकास के कारण हुआ है उतना ही अपराधों की संख्या को बढ़ाने में भी सहायक हुआ है। सरकार द्वारा इन अपराधों को रोकने के लिए कई कानूनों में समय- समय पर संशोधन करके अपराधों को रोकने के प्रयास किये जाते है। यदि अवाश्यकता होती है तो नये कानूनों का भी निर्माण किया जाता हैं। फिर भी अपराधों पर पूर्ण विराम नही लग पाता है। अब प्रश्न यह है कि इन बढ़ते हुए अपराधों को रोका कैसे जाये। इनके लिए क्या कठोर दण्ड की व्यवस्था कर देने से रोका जा सकता है। इन्ही सबालों के जबाब ढूढ़ने के लिए सम्माननीय लेखक गणों से उनके लेख आमंत्रित किए गये कि वे अपने-अपने अमूल्य बिचार प्रदान कर अपराधों के कारण व उनको रोकने के लिए क्या क्या उपाय होने चाहिए। इन सभी बिन्दुओं पर इस पुस्तक ‘‘भारत में बढ़ते हुए सामाजिक अपराध- एक दृष्टि” के माध्यम से प्रकाश डालने का प्रयास किया गया है।

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डॉ. राज कुमार वर्मा

डॉ. राजकुमार वर्मा

(LLM, Ph.D., UGC-NET)

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