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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal'भाव-सागर' अपने नाम के ही अनुरूप भावनाओं का उफ़नता सागर है, जिसमे रचनाकार ने अपने मन में उठते भावों को कविताओं और शायरी के माध्यम से समेटने का प्रयास किया है। लगभग २५ सालों का यह संकलन, भावों के विविध रूपों का चित्रण है। जहाँ एक ओर जीवन के संघर्ष के दौरान उठते भावों को बख़ूबी दर्शाया गया है, वहीं रचनाकार ने आज के दौर में समाज में व्याप्त कुछ ज्वलंत समस्याओं को अपनी लेखनी में उतारने की कोशिश की है। 'अनुभव की रेखाएँ' और ‘मृत्यु–घूंटी’ में क्रमशः ‘वृद्धाश्रम’ और 'स्त्री भ्रूण हत्या' जैसी विकराल समस्याओं का मार्मिक विश्लेषण पाठकों के दिलों को अवश्य छू लेगा। तो आइये, ‘भाव-सागर’ में डूबकी लगाइये और अपने मन की भावनाओं को सराबोर करिए।
गीता नारायण
गीता नारायण एक गृहिणी हैं। बचपन से ही लिखने का शौक़ रहा है। आपकी कई रचनाएँ स्थानीय दैनिक हिंदी समाचार पत्रों में प्रकाशित हो चुकी हैं। संघर्ष को जीवन का पर्याय मानती हैं और इसकी पीड़ा आपकी कुछ कविताओं में झलकती है। अपनी लेखन-कला के आरंभिक दौर में आपने शायरी और गज़लें भी लिखी हैं, जो इस पुस्तक में संकलित हैं। कुछ निबंध और लेख भी लिखे हैं, पर मुख्य रूप से आपको कविताओं का ही शौक़ रहा है।
हिंदी साहित्य ने आपको बचपन से ही प्रभावित किया है। प्रेमचंद की रचनाएँ हों या महादेवी वर्मा की कविताएं, सब आपकी प्रेरणा के स्रोत रहे हैं।
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