प्रेम जीवन का आधार है। प्रेम से ही संतुष्टि आनंद और शांति मिलती है, प्रेम के बिना जीवन नीरस और बोझिल हो जाता है। प्रेम ईश्वर की अद्भुत देन है, जिसका संचालन मन यानि दिल से होता है; और दिल एक अथाह सागर है, जिसमें भांति भांति के भावों की तरंगें उठती रहती हैं । मनुष्य न केवल मनुष्य से ही प्रेम करता है, अपितु बहुत से अन्य जीव-जंतुओं, वस्तुओं, स्थलों, नदी, पर्वत, मेघ, प्रपात, ऋतु, वृक्ष, तड़ाग, उद्यान, पुष्प, पक्षी, खेत, कला, क्रिया, क्रीड़ा, गीत, संगीत, कथा, भोजन, पे