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Does the original Quran still exist today? / क्या ओरिजिनल क़ुरआन आज भी मौजूद है ?

Author Name: Abdul Waheed | Format: Paperback | Genre : Religion & Spirituality | Other Details

आज भी पवित्र क़ुरआन के बारे में कुछ लोगों का भ्रम व्याप्त है कि यह क़ुरआन मोहम्मद के समय का नहीं है और इसमें परिवर्तन कर दिया गया है। इसी प्रकार से कुछ लोगों का भ्रम है कि शिया की क़ुरआन और सुन्नी कुरआन अलग-अलग है।

और यहां तक कुछ लोग कहते हैं कि क़ुरआन पहले 40 पारों में था आप 30 पैरों में सिमट कर रह गया है लेकिन यह मात्र भ्रम है क्योंकि मैं खुद शिया की मस्जिद जाकर क़ुरआन को पढ़ा और देखा तो उसमें एक शब्द का भी कोई परिवर्तन नहीं है । और इसी प्रकार से जितनी पुरानी पांडुलिपियों हैं यदि उसमें कोई परिवर्तन या कमी होती तो पांडुलिपियों से साबित हो जाता क्योंकि पांडुलिपिया पढ़ने योग्य है। ऐसा नहीं है कि प्राचीन पांडुलिपियों क़ुरआन की सब पढ़ी जा चुकी है और सभी को जानकारी है। यदि कोई परिवर्तन होता तो सबसे पहले अरबी जानने वाले अरब के लोग ही इसका विरोध करते और वहीं से प्रचार होता कि क़ुरआन में परिवर्तन हुआ है लेकिन यह कुछ लोगों का मात्र भ्रम है। क्योंकि ऐसा तो रिसर्च करने वाले लोग भी नहीं कहते, यह मात्र कुछ फिरका परस्त लोग ही कहते हैं।

बहरहाल इस पुस्तक को खुद आप लोग पढ़े और जानकारी करें कि क्या ऐसा सोचना सच है ? क्योंकि क़ुरआन का पूरा इतिहास सभी के सामने है और यदि आपको कुछ ऐसा महसूस होता है कि परिवर्तन हुआ है तो कृपया जरूर अवगत काराये, मैं आपकी जानकारी को साझा करने का प्रयास करूंगा । 

धन्यवाद

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अब्दुल वहीद

मेरा नाम अब्दुल वहीद है, मेरे पिता का नाम स्वर्गीय हाजी उबैदुर्रहमान है व माता का नाम जैबुन्निसा है। मैंने बचपन से ही वैज्ञानिक विचारधारा को पसंद किया है और शांत स्वभाव व पुस्तकों से लगाव रहा है। जिससे मेरी रोज जिज्ञासा रुचि निरंतर नए-नए खोजो की जानकारी में प्रयुक्त रहा है। मैं B.Sc करते समय पालीटेक्निक में सेलेक्शन हो गया था, लेकिन दुर्भाग्यवश अधूरा रह गया था क्योंकि पिता और भाई का सड़क दुघर्टना में सर्वगवास हो गया था ।

मेरे पिता जी की दो बातें जो, मेरे जीवन के लिए अत्यंत अनमोल है

 प्रथम– इमानदारी से कमाओ झूठ का सहारा मत लो,

दूसरा– अन्न की इज्जत करो और जितना खाना हो उतना ही लो।

 इसलिए घर की जिम्मेदारी, फिर बाद में विवाह हो जाने के कारण शिक्षा अधूरी रह गई । फिर भी हिम्मत नहीं हारा और आज आपके सामने मेरे विचारों के रूप में पुस्तक उपलब्ध है । मेरे लेख प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं में भी छप चुके हैं। यदि कोई जानकारी अधूरी रह गई हो तो कृपया जरुर अवगत कराये ।

 पुस्तक पढ़ने के लिए

धन्यवाद, 

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