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Duryodhan kab Mit Paya: / दुर्योधन कब मिट पाया:भाग :1 [आरम्भ अंत का ] आरम्भ अंत का

Author Name: Ajay Amitabh Suman | Format: Paperback | Genre : Others | Other Details

जब सत्ता का नशा किसी व्यक्ति छा जाता है तब उसे ऐसा लगने लगता है कि वो सौरमंडल के सूर्य की तरह पूरे विश्व का केंद्र है और पूरी दुनिया उसी के चारो ओर ठीक वैसे हीं चक्कर लगा रही है जैसे कि सौर मंडल के ग्रह जैसे कि पृथ्वी, मांगल, शुक्र, शनि इत्यादि सूर्य का चक्कर लगाते हैं। न केवल वो अपने हर फैसले को सही मानता है अपितु उसे औरों पर थोपने की कोशिश भी करता है। नतीजा ये होता है कि उसे उचित और अनुचित का भान नही होता और अक्सर उससे अनुचित कर्म हीं प्रतिफलित होते हैं।कुछ इसी तरह की मनोवृत्ति का शिकार था दुर्योधन। प्रस्तुत है महाभारत के इसी पात्र के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालती हुई कविता “दुर्योधन कब मिट पाया” का प्रथम भाग।

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अजय अमिताभ सुमन

दिल्ली हाई कोर्ट में पिछले दो दशकों से बौद्धिक संपदा विषयक क्षेत्र में वकालत जारी। अनगिनत कानूनी संबंधी लेख कानूनी पत्रिकाओं में प्रकाशित। वकालत करने के अलावा साहित्य में रूचि रही है.अनगिनत पत्र , पत्रिकाओं में प्रकाशन।हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओँ में समान अधिकार। प्रकाशन: रचनाकार , हिंदी लेखक , स्टोरी मिरर, मातृ भारती , प्रतिलिपि, नव भारत टाइम्स, दैनिक जागरण ,यूथ की आवाज , स्पीकिंग ट्री , आज, हिंदुस्तान, नूतन पथ, अमर उजाला इत्यादि पत्रिका और अख़बारों में रचनाओं का प्रकाशन।

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