You cannot edit this Postr after publishing. Are you sure you want to Publish?
Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
10 Years of Celebrating Indie Authors
"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palवक़्त सबकुछ को परखता है – रिश्तों और संबंधों को भी, दोस्तों और परिस्थितियों को भी। वह हर चीज़ की सार्थकता पर प्रश्नचिह्न लगा देता है। ख़ुशियों और आंसुओं को भी तौलता है। ऐसे में जीवन में जब-जब, जैसा-जैसा आया वैसी ही अनुभूति को लिखकर स्मरणीय बनाने का लेखक ने एक लक्ष्य साधा और उसकी परिणति यह कृति है। कुछ हक़ीक़त-सा, तो बहुत कुछ उनके सपनों की दुनिया का।
आत्मानुभूति के अनेक रंग और रेखाएं हैं और यह सब बहुत सहज नहीं हैं। कभी-कभी अवचेतन की स्मृतियां उदास करती हैं तो कभी भविष्य की चेतना रुला ही देती है। प्रेम की, प्रेम में प्रतीक्षा की, प्रेम में परिस्थितियों की तथा प्रेम में सफलता और विफलता की- यह सब एक वैचारिक स्थिति है जो जीवन में अनेक दर्शनों से रूबरू कराती है।
राकेश कुमार सिंह
राकेश कुमार सिंह केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) में सेवारत अधिकारी हैं। उन्होंने फ़िक्शन और नॉन-फ़िक्शन दोनों तरह की छह किताबें लिखी हैं। विषय पुलिसिंग के तरीक़े से लेकर नक्सलवाद तक हैं। उन्होंने उपन्यास भी लिखे हैं। उनके उपन्यासों कलर्स ऑफ रेड (2021) और लॉकडाउन लव (2022) को ख़ूब सराहा गया। उन्होंने विविध विषयों पर प्रमुख समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में सौ से अधिक लेख भी लिखे हैं। सीआरपीएफ में अपनी अट्ठाईस साल की सेवा में उन्हें सरकार द्वारा कई पदकों और प्रशस्ति पत्रों से सम्मानित किया गया है। उन्होंने नक्सलवाद से प्रभावित बस्तर में दंतेवाड़ा जैसे क्षेत्रों के अलावा कश्मीर और उत्तर-पूर्व जैसे संघर्ष क्षेत्रों में सेवा की है। वह पुलिस अकादमियों में विशेषज्ञ के रूप में कार्य करते हैं। उन्हें 2011 में उनकी किताब ‘नक्सलवाड़ और पुलिस की भूमिका’ और 2021 में ‘नक्सलवाड़- अनकहा सच’ के लिए प्रतिष्ठित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार मिला है।
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.