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EK MANKA BAAKI HAI / एक मनका बाकी है

Author Name: Aks | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

'एक मनका बाकी है' मात्र एक कविताओं की पुस्तक न होकर एक निचोड़ है भावनाओं का, सामंजस्य है बाह्य एवं आंतरिक दुनिया का, प्रयत्न है कुछ उलझनों को सुलझाने का और सार है विचारों के जीवंत सागर का। आशा है इस रचना की शैली एवं रस आपको पसंद आयेंगे।

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अक़्स

'उम्र ज़रूरी नहीं गर शख़्स जानते हो,
थिरकने खुद-ब-खुद लगोगे, गर रक़्स जानते हो,
पैमाने की छलक में गुम क्यों होना है साहिबान,
गर उसकी उतरन में मेरा अक़्स जानते हो।'

मैं प्रकृति और उसके चमत्कारों के प्रति उत्साह के साथ एक सरल, सीधा और परिवार उन्मुख व्यक्ति हूं। मैं अपने विचारों को व्यक्त करने और समझने के लिए और अपने अल्प जीवन को अर्थ देने के लिए लिखता हूं।

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