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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palकहानियां जो कई लाखों दिलों और घरों में बसी हुई हैं। वो मजबूरियां जिनसे वो लाचार हैं, कुछ ऐसे परिवारों की कहानियां हैं जिनसे हम सब आज तक अनजान रहे हैं, ना जाने कितनी ऐसी और कहानियां छुपी हैं उन गरीबों के पीछे, शायद अगर मैं लिख भी दूं तो ये अल्फाज़ और किताब भी कम पड़ जाएगी लिखने को, उनकी सहनशीलता को टटोलना आसान नहीं है।
ऐसी ही सच्चाई और लाचारी से भरी कुछ कहानियों का ज़िक्र इस किताब में किया गया है, इस किताब, "गूंज- एक सच" के माध्यम से उनकी आवाज़ को एक ज़रिया मिलेगा लोगो तक पहुंचाने का, जिससे अब तक सब अनजान थे। इसमें कुछ गरीब परिवारों की दास्तां है जिनकी आवाज़ को बोझ तले या अमीरी की तले दबा दिया जाता है, इसमें हिंदी देवनागरी लिपि का प्रयोग किया है और कुछ आम बोल चाल की भाषा भी सम्मिलित हैं, जिससे पाठकों को इस पुस्तक में प्रकाशित कहानियों के उद्देश्य से भली भांति अवगत कराया जा सके।
संकलनकर्ता ने पुस्तक के शीर्षक पर प्रकाश निम्नलिखित पंक्तियों द्वारा डाला है:
वो पानी बहुत था उसकी आँखों में,
वो प्यास बहुत थी उसके होंठों पे,
वो बच्चा था, पानी की तलाश में,
वो नदियों जैसा था, दरिया की तलाश में,
वो बेजान सा था, उस पानी की तलाश में।
कीर्ति तोमर
राष्ट्रीय गौरव पुरस्कार से सम्मानित २० वर्षीय छात्रा कीर्ति तोमर जो एक लेखिका और कवयित्री के नाम से जानी जाती हैं और साथ ही साथ यह एक प्रतिभाशाली समाज सेविका भी हैं। कीर्ति खुले विचारों वाली जिज्ञासु लड़की हैं। इन्होंने अपने बचपन में बहुत सी कठिन परिस्थितियों का डट कर सामना किया और अपने जीवन में कभी हार नहीं मानी। उन परिस्थितियों से सीख लेते हुए वे बड़ी हुईं और बहुत सारे अनुभव, लक्ष्य और कीर्तिमान इन्होंने प्राप्त किए। इस पुस्तक में इन्होंने गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों की भावनाएं व्यक्त की हैं।
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