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HAST-MUDRA CHIKITSA SHASTRA / हस्त-मुद्रा चिकित्सा शास्त्र योग विज्ञान YOGA VIGYAN

Author Name: Dr. Mahendra Kumar Jain "manuj" | Format: Paperback | Genre : Others | Other Details

हस्त-मुद्रा योग शरीर को स्वस्थ रखने और स्वस्थ करने के लिए बहुत ही सरल चिकित्सा पद्धति है, जिसमें व्यक्ति को केवल एकाग्र बैठकर अपने हाथों की अंगुलियों के सहयोग से विभिन्न मुद्राएं-आकार बनाना होते हैं। जिसे जो परेशानी-व्याधि हो उसके अनुकूल इस ‘हस्त-मुद्रा चिकित्सा शास्त्र’ पुस्तक में निर्दिष्ट मुद्रा का अभ्यास करना चाहिए। यह अपने घर बैठे बिना किसी खर्च के अत्यंत सरल पद्धति है। इससे अनेक असाध्य रोगों में भी आराम मिलता है। इस पुस्तक में हस्त मुद्रा बनाने के लिए प्रत्येक मुद्रा के लिए आकर-चित्र दिया गया है जिसे देखकर वह मुद्रा बनाने में हमें कठिनाई नहीं होगी। मुद्रा के विवरण में मुद्रा-आकार बनाने की विधि दी गई है, कैसे और कितने समय तक करना है, कब करना है यह जानकारी तथा हस्त-मुद्रा योग करने में क्या सावधानियां वरतना हैं यह और असावधानी करेंगे तो उससे क्या हानि हो सकती है यह भी बताया गया है। स्वस्थ व्यक्ति को रोग न हो इस हेतु और अस्वस्थ व्यक्ति का रोग खत्म हो जाये इसलिए हस्त-मुद्रा योग करना चाहिए, अतः यह सभी व्यक्तियों के लिए उपयोगी है।

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डॉ. महेन्द्र कुमार जैन ‘मनुज’

डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’, इन्दौर बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। ये बहुत अच्छे लेखक, पुराविद्, पत्रकार, शोधान्वेषी हैं। डॉ. मनुज द्वारा संपादित/प्रकाशित 6 पुस्तके विभिन्न विश्वविद्यालयों/शैक्षिक संस्थानों के कोर्स में या सहायक, संदर्भग्रन्थ के रूप में सम्मिलित हैं। आपकी स्वयं की एक पत्रिका है और कई पत्र-पत्रिकाओं में आप सम्पादक हैं और रह चुके हैं। पांच ग्रन्थों के आप स्वयं लेखक/ अनुवादक है और 60 ग्रन्थों का सम्पादन कर चुके हैैं। आपको 13 पुरस्कार प्राप्त हो चके हैं, कई संस्थाओं के अध्यक्ष, महामंत्री जैसी पदों पर हैं। दैनिक समाचार पत्रों में पुरातत्त्व, सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक, आगमिक, पौराणिक, ऐतिहासिक, योगविद्या, समसामयिक आदि विषयों पर नियमित लेखन करते हैं, लगभग 150 अखबार आपके आलेख प्रकाशित करते हैं। अंकचक्रान्वित अनूठे यंत्रात्मक ग्रन्थ ‘सिरि भूवलय’ को डिकोड करने के विलुप्त हो चुके फार्मूला की खोज कर उसे इस सदी में प्रथम बार डिकोड करने का गौरव आपको प्राप्त है। 64 अध्याय वाले विशाल ‘सिरि भूवलय’ में 718 भाषाएं, 363 दर्शन और 64 कलाएं वर्णित हैं। इसमें अनेक विलुप्त और अप्राप्त प्राचीन ग्रन्थ गर्भित हैं। पता- ‘अनुप्रेक्षा’, 22/2, रामगंज, जिन्सी, इन्दौर म.प्र. (भारत), मो. 919826091247, ई-मेल-  mkjainmanuj@yahoo.com

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