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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palकहानी शुरू होती है दिल्ली के दरियागंज से | छोटी सी लड़की शीनू दरियागंज की एक हवेली में संयुक्त परिवार के बीच पली बड़ी | माँ को बस एक ही परेशानी है कि ये लड़की जब देखो लडको के साथ ही समय बिताती है | लड़कियों वाली तो कोई लक्षण ही नहीं इसमें | अब शीनू करे भी तो क्या करे? उसे गुड्डे गुड़िया से खेलना एकदम पसंद नहीं | उस के बदले मोहल्ले के लडको के साथ लाल किले में क्रिकेट खेलना ज्यादा अच्छा है | मस्ती भी तो खूब होती है लडको के साथ | कभी पुरानी दिल्ली के गलियों में मस्ती | कभी दरियागंज थाने के बाहर बने चबूतरे में बैठ कर दोस्तों के साथ गप्पे और साथ में पकोड़े खाना, वो भी थानेदार के भेजे हुए |
लेकिन समय अपनी इच्छा मुताबिक तो नहीं चलता है | अपने बड़े पापा, बड़ी माँ, बाबा, माँ, चाचू चाची, दीदी, भैया की लाड़ली; छोटी उम्र में ही दुनियादारी को समझने लग गई थी | बड़े पापा जैसे कहते है कि मेरे बच्ची को सब लोगो ने खींच के बड़ा कर दिया है | अब हालात ही कुछ ऐसे हो तो शीनू क्या करे ? कहते हैं कि समय के बहाव के साथ बह जाना ही तो ज़िन्दगी है | परिवार में ऊंच नीच तो लगा ही रहता है | दीदी के शादी के बाद जैसे हवेली में आफत का पहाड़ टूट पड़ा | हंसता खेलता एक परिवार टूटी हुए माला के मोतिओं की तरह बिखर गया | एक जीनु दादू ही है जिनसे शीनू अपनी दिल की बात बाँट लिया करती थी | अब ये जीनु दादू भी अजीब है | अपने आप को जिन्न तो कहता है लेकिन जिन्न वाली कोई हरकत उनमे है नहीं | बस नाम का जिन्न | वो भी कह रहा था कि शीनू जब बड़ी हो जाएगी तब जीनु दादू भी उससे बातें करने नहीं आएंगे | ये भी कोई बात हुई ?
चंचल
चंचल दास, अपने मार्केट रिसर्च इंडस्ट्री में दादा के नाम से जाने जाते है | कई दशक से इस इंडस्ट्री में काम करने के पश्चात, अपनी पत्नी के साथ पिछले १४ साल से अपनी एजेंसी सफलता पूर्वक चला रहें है | संगीत में उनकी रुची शुरू से थी | कुछ सालो से बाकायदा सैक्सोफोन बजाना शुरू किया है | आजकल अपने करीबी दोस्तों द्वारा सराहे जाने के बाद उनकी ही छोटी मोटी महफ़िलो में सैक्सोफोन बजाया करते है | लेकिन आत्मप्रचार से कतराते है | यही वजह है कि उन्होंने कभी भी अपनी दुनिया से बाहर निकलकर इसकी नुमाइश नहीं की |
अब बात साहित्य की आई तो यूँ कह सकते है कि, पिछले कई सालो से वो बांग्ला में कहानियां लिखते आ रहें हैं और अलग-अलग वेबसाइट में प्रकाशित करते आ रहें हैं | हिंदी में लिखा उनका पहला उपन्यास 'देवगांधारी', २०१९ में प्रकाशित हुया था | पाठको ने उस उपन्यास को काफी सराहा और आशातीत सफलता के पश्चात उन्हें अगला उपन्यास लिखने के लिए प्रेरित किया | उनके उपन्यास में नारी चरित्र की अहम भूमिका रहती है | बाकि चरित्र, प्रमुख नारी चरित्रों के इर्दगिर्द रहते है | ऐसा लगता है कि वो शायद बांग्ला के साहित्य सम्राट श्री शरत चंद्र चट्टोपध्याय या श्री बिभूतिभूषण बंदोपाध्याय से प्रेरित हैं | हालाँकि ये निष्कर्ष तो पाठक ही तय करेंगे |
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