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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palहमारी ज़िंदगी के प्रश्न चिन्ह हमें कई सवालों के साथ तजुर्बों की पगडण्डी दे जाते हैं। इस किताब में आप इंसान के मन की दुविधाएँ और प्रयासों से भरे उसके संघर्षों को महसूस कर पाएंगे।
‘जीवन की संचित कहानियाँ’ पाँच अतरंगी ओर रोमांचक कहानियों का समूह है। इस किताब में आपको शब्दों में पिरोयी हुई गाथाएं पढ़ने को मिलेंगी जिनमें आप अपने आपको ढूँढ पाएँगे। हम सबकी ज़िंदगी के पड़ावों की कुछ खट्टी मीठी यादें लेकर इन कहानियों में पलों को याद करते हुए आप हँसेंगे, संभलेंगे, थोड़ी शिकायतें भी होंगी, परंतु एक रंग जो कभी फीका नहीं पड़ेगा वो है आपकी निष्ठा का। हम सब जानते है सबसे कठिन योग है वियोग, जिसमें जीवन की शैली कैसे बदल जाती है उसका अंदाज़ा कहीं न कहीं हम सबको है। इस किताब को पढ़कर आप समझेंगे कि अत्याचार और अनुचित व्यवहार चाहे कितना भी ज़्यादा क्यों न बढ़ जाए, अच्छे व्यक्ति का स्वभाव कभी नहीं बदलता, साथ ही उसका उद्देश्य ज़रूर पूरा होता है। जो लगन और सच्चे मन से अपने रिश्तों को निभाते हैं उनको मन चाहा फल ज़रूर मिलता है।
परिस्थितियां हमें कमज़ोर करने की कोशिश हमेशा करती है, बस फ़र्क ये है कि कुछ लोग बिखर जाते हैं तो कुछ निखार जाते हैं। ये किताब आपको ऐसे कई किरदारों से मिलवाएगी।
ये कहानियाँ आपके जीवन के कई प्रश्नों के उत्तर देने में सफल होगी और आपको नई सोच और प्रत्येक नैतिक बाते सिखाएंगी।
मैं आशा करती हूँ आपको यह किताब पढ़ने में उतना ही मज़ा आएगा जितना ज़िंदगी की पुरानी यादें जीने में आता है।
वैसे इससे पहले आप इस किताब को पढ़ना शुरू करें, मैं आपका आभार प्रकट करती हूँ। मुझ पर अपना विश्वास रखने के लिए और अपना महत्वपूर्ण समय देने के लिए आपका भावपूर्ण शुक्रिया।
उषा रावत
यह पुस्तक ‘जीवन की संचित कहानियाँ’ श्रीमती उषा रावत ने लिखी है। इनका जन्म देवभूमि उत्तराखंड के नैनीताल ज़िले में हुआ था।
उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई देवीपुरा से ही की। उसके बाद उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु उन्होंने रामनगर के एक कॉलेज से बी. एड. और उसके बाद हिंदी में ऐम. ऐ. किया।
इनकी रुचि शुरू से ही कहानियाँ, कविताएँ, छंद लिखने में थी। लेखिका जब ५थी कक्षा में थी तब उन्होंने कई अन्य कवियों, अन्य लेखको को अपनी बात ,अपनी कहानियों के माध्यम से अपनी भावनाओं को कैसे व्यक्त करते है , उनको आकार देते है, यह सब समझा। उन्हें पाठ्य पुस्तकों में लिखी कहानियों से भी प्रेरणा मिली। उनका ऐसा मानना है कि जो आप अपने जीवन में कह नहीं सकते, जो खूबसूरत पल आप ने अपने जीवन में देखे, महसूस किए है, उन्हें आप कहानियों और लेखन के माध्यम से व्यक्त कर सकते हैं और इसी के साथ उनके लेखिका बनने का सफ़र शुरू हुआ। उन्होंने बहुत सी अन्य कहानियाँ लिखी साथ ही उन्हें गिटार बजाना, बैडमिंटन खेलना और पर्यटन का शौक़ भी है। प्रकृति और बचपन में गाँव से जुड़े होने के कारण वे समाज के लिए सर्वश्रेष्ठ उदाहरण बनना चाहती है और पूर्ण रूप से अपनी जीवनशैली में इस सोच को अपनाती है।
यह पुस्तक उन्होंने अपने विवाह से पहले १९९२ में लिखी थी।
इनका विवाह भारतीय सेना के एक युवक से १९९८ में हुआ। इसके बाद लेखिका देहरादून शहर में रहने लगीं। वहाँ अपने परिवार जनों के साथ उन्होंने ‘ग्रीन फ़ील्ड अकैडमी’ नामक स्कूल का निर्माण किया। कुछ सालों बाद वह अपने दोनो बच्चों के साथ दिल्ली के आर्मी क्वॉर्टर में रहने लगीं। वही उन्होंने अपने बच्चों का पालन पोषण करके उन्हें अपने जैसी सकारात्मक और कार्मिक सोच दी।
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