You cannot edit this Postr after publishing. Are you sure you want to Publish?
Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palसौम्या अभी जिंदगी के उस खुशनुमा दौर से गुज़र रही है जब दिल दिमाग पर हावी हो जाता है। सौम्या पुनीत नाम के एक लड़के से प्यार करती थी। उसने अपने पहले प्यार के साथ जिंदगी गुज़ारने की कसमें खा लीं थीं। वह घरवालों की मर्जी के खिलाफ जाकर शादी कर चुकि थी, शादी के बाद सौम्या को पता चलता है कि उसने जिससे शादी की है उसका असली नाम पुनीत नहीं परवेज़ है। न्यूज़ पर जिस साजिश की खबरें वह पढ़ती, सुनती रहती थी अब वह खुद भी उसका शिकार हो गई थी। अब सौम्या को जिंदगीभर उस कैद में रहना पड़ेगा या वह परवेज़ के चंगुल से बाहर निकल पाऐगी, जानने के लिए पढ़िए- ''जिहाद इन द नेम ऑफ लव''|
महेन्द्र बाथम
महेंद्र बाथम भोपाल के रहने वाले हैं। दार्शनिक साहित्य पढ़ने में उनकी गहरी रुचि है,वह कविताएं पढ़ने इस एवं लिखने के शौकीन हैं।यह उनका दूसरा उपन्यास है जो 4 वर्षो तक बहुत से तथ्यों का अध्ययन करने के बाद पाठकों के समक्ष उपलब्ध है।
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.