हिंदी साहित्य जगत की कुल ग्यारह कालजयी कहानियों का हरियाणवी उपभाषा में अनुवाद कुछ विशिष्ट उद्देश्यों को ध्यान में रखकर किया गया है, ताकि हरियाणा का जनमानस अपनी 'माँ-बोली' में श्रेष्ठ साहित्य का रसास्वादन कर सके तथा अन्य भाषा-भाषी लोग इस भाषा के माधुर्य का लुत्फ़ उठा सकें। इसी लक्ष्य को मद्देनज़र मैंने अपनी इस पुस्तक में हिंदी भाषा के श्रेष्ठ, मूर्धन्य साहित्यकारों क्रमशः कृष्णा सोबती, सियारामशरण गुप्त, विष्णु प्रभाकर, मुंशी प्रेमचंद, तारा पांचाल, रामकुमा