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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal‘कच्ची गलियाॅ‘ नामक शीर्षक इस पुस्तक में ग्यारह कहानियों के संग्रह का वास्तिक रूप से लिखने की पृष्ठभूमि मुख्य उन मुद्वों पर केन्द्रित है जो साधारणत इंसानीनज़रो से तो देखा जरूर जाता है लेकिन इंसानी दिमाग से उन्हें आमतौर पर कमतर आकां जाता है। इस कहानी सग्रंह का मुख्य उद्वेश्य किसी को कुछ समझाने की अपेक्षा उन मुदों को समक्ष रखना है। उम्मींद है इन साधारण कहानियों को पढ़ते समय ये आपका असाधारण ध्यान अपनी ओर खीचेगा।
राजेश कश्यप
‘राजेश कशयप‘ जो चण्ड़ीगढ शहर के एक मध्यम वर्ग परिवार से तालुक रखते हुये ‘राजनितक विज्ञान‘ में उच्च शिक्षा हासिल की और इसी शहर से अपनी शुरूआति जिन्दगीं को बढ़ानें के लिए इस दुनिया की भागदौड़ में अपने कदमों को स्थापित करने की कौशिश। इस कौशिश में सफलताएं की अपेक्षा असफलताओं नें इनके जीवन को अधिक घेर कर रखा और हर नौजवान की तरह इन्होनें भी दुनिया की नज़रो से दुनियादारी को समझनें मंे लग गये। लेकिन बीतते समय के साथ कुछ जीवन के जड़ में गया तो कुछ न खास देखा, कुछ न खास पाया और कुछ न खास समझा। लोगों की बातें सुनते-सुनते बस अपने में ही रह गया बस भीड़ में अकेलापन ही पाया। इस अकेलेपन से यह समझा कि हर इसानं अकेलेपन से झूझता है बस फर्क इतना है बहुत से लोग खुलेआम रखते है तो कुछ इसे छुपा कर रखते है। इसी अकेलेपन में ना जानें कब हाथों में ‘कागज और कलम‘ थमा दी और इसी बदौलत ‘कच्ची गलियाॅं‘ शीर्षक नामक पुस्तक से अपने लेखन की शुरूआत की जो निरन्तर वर्तमान में भी जारी है।
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