You cannot edit this Postr after publishing. Are you sure you want to Publish?
Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
Discover and read thousands of books from independent authors across India
Visit the bookstore"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palहर इंसान को कल्पना करनी चाहिए। क्योंकि इंसान अगर कल्पना करेगा तो ही उसे पूरा करने की कोशिश करेगा और एक दिन उसे पा भी सकता है। कल्पना जीवन की निशानी है, जीवित इंसान ही कल्पना कर सकता है, कल्पना करके कुछ नया सृजन कर सकता है। और ये जरूरी नहीं कि हर कल्पना पूरी हो जाये, कुछ कल्पनाएं अधूरी भी रह जाती है मगर इंसान को कभी कभी टूटी हुई कल्पना के साथ भी जीना पड़ता है। बरसों पहले मैंने एक कल्पना की थी जो आज मेरी किताब कल्पना के रूप में आप लोगों के सामने है।आप यकीन मानिए मेरी किताब कल्पना पढ़कर आप लोगो को लगेगा कि कहीं ये मेरी कल्पना तो नहीं है।
निखिल भारद्वाज
मैं निखिल भारद्वाज, मेरा जन्म मेरे घर सोहरा जिला-भोजपुर (आरा) बिहार में हुआ। मेरा बचपन मेरे गांव में ही बीता। मेरी प्रारंभिक पढ़ाई गांव के ही सरकारी स्कूल से शुरू हुई। मुझे बचपन से ही पढ़ने लिखने का बहुत शौक था। बचपन में मुझे नंदन नन्हे सम्राट और चाचा चौधरी के कॉमिक्स पढ़ने की आदत लग गई थी जो आगे चलकर जवानी में वेद प्रकाश शर्मा से शुरू होकर प्रेमचंद धर्मवीर भारती आदि बहुत सारे उपन्यासकारों पर जाकर खत्म हुई या यूं कहिए पढ़ने का शौक मुझे आज भी है। स्कूली पढ़ाई खत्म करने के बाद मेरा नामांकन, मेरे शहर आरा के बहुत ही प्रतिष्ठित कॉलेज महाराजा कॉलेज में हुई। महाराजा कॉलेज वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के अन्तर्गत आने वाला एक चर्चित कॉलेज है जो शहर के बीचों बीच मौजूद हैं। यहां से स्नातक करने के बाद आगे की पढ़ाई करने के लिए मैं इन्दौर चला आया। यहां माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाली कॉलेज आई.पी.एस एकेडमी से बैचलर ऑफ जर्नलिज्म किया। आजकल फ्रीलांसिंग जर्नलिज्म करता हूं। पढ़ने लिखने में अभिरुचि रखता हूं। मेरा मानना है कि पढ़ने-लिखने वाले इंसान औरों से अलग होते हैं, उनकी दुनिया अलग होती है, आप उन्हें अच्छे इंसानों में शुमार कर सकते हैं। हर इंसान को पढ़ने लिखने का शौक होना चाहिए या कम से कम लिखना नहीं तो पढ़ने का शौक तो जरूर होना चाहिए। इंसान अगर पढ़ने का शौक रखता है तो वो कल्पना कर सकता है और कल्पना करके कुछ नया सृजन कर सकता है।
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.