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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palकमली,
इसी नाम से सभी पुकारते थे, उस चुलबुली-सी लड़की को। बहुत कम लोग जानते थे, उसका असली नाम। उसके दोस्त, रिश्तेदार और यहाँ तक स्कूल में उसके शिक्षक, उसे कमली कहते थे। बड़ी सुंदर थी वह, लंबी, गोरा रंग और तीखे नाक-नक़्श। बचपन से बहुत तेज और शरारती थी। स्कूल में उसके ज़्यादातर दोस्त लड़के थे। उन सब में उसका सबसे करीबी दोस्त अतुल था।
खेलकूद के साथ-साथ कमली पढ़ाई में तेज थी। वह हर साल क्लास में अव्वल आती। बचपन में सिर से पिता का साया उठ जाने के बावजूद, कमली के लालन-पालन में उसकी माँ ने जितना बन पाया, उतना किया। वैसे घर की माली हालत ठीक नहीं थी।
घर में ट्यूशन कर उसने मेडिकल टेस्ट की कोचिंग ली। बारहवीं बोर्ड में राज्य में प्रथम स्थान पर रही और उसके बाद मेडिकल प्रवेश परीक्षा में उसे राज्य में दूसरा स्थान मिला। मेडिकल की पढ़ाई के पैसों के लिए वह कोचिंग क्लास में टीचर बनी। अपनी मेहनत की कमाई से छह वर्ष की पढ़ाई के बाद वह डॉक्टर बनी।
इसके बाद की कहानी, कमली की जिंदगी की कश्मकश, प्यार, पीड़ा, धोखा, अपनों के बिछड़ने की है। बचपन से जवानी तक विपरीत स्थिति में अपने बूते पर जिंदगी से लड़ाई लड़ने वाली लड़की की कहानी है........कमली।
राजीव रंजन
राजीव रंजन मिश्र (राजीव रंजन), कोल इंडिया लिमिटेड की सहयोगी कंपनी, वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (वेकोलि), नागपुर के सीएमडी रहे हैं। इस पद से उनकी सेवानिवृति दिसम्बर, 2020 को हुई।
उसके बाद श्री मिश्र गुरुग्राम आकर बस गए। वे अगले एक वर्ष तक कोयला मंत्रालय, भारत सरकार के वरीय सलाहकार रहे। संप्रति वे वर्ल्ड बैंक के वरीय ऊर्जा सलाहकार के रूप में फरवरी, 2022 से कार्यरत हैं।
वेकोलि के सीएमडी के रूप में अपने छह वर्ष के कार्यकाल के दौरान उन्होंने एक बीमार कंपनी को शिखर पर ले जाने का अद्भुत कार्य किया। मानव संसाधन के विशेषज्ञ और एक कुशल रणनीतिकार, श्री मिश्र ने अपने कार्यकाल के दौरान कोयला उद्योग के कर्मियों को मानव पूंजी की तरह सहेज कर रखा, उनके साथ-साथ चल कर उद्योग में रिश्तों की एक नयी परिभाषा लिखी। उन्होंने वेकोलि में मानव पूंजी प्रबंधन की सकारात्मक विचारधारा को लागू कर वेकोलि को पहले ‘टीम वेकोलि’ और फिर ‘वेकोलि परिवार’ में परिवर्तित कर दिया।
श्री मिश्र को कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। श्री मिश्र एक अच्छे वक्ता और एक अच्छे लेखक भी हैं।
श्री मिश्र ने वेकोलि की अपनी यात्रा पर 2021 की शुरुआत में अपनी पहली किताब ‘असंभव संभव’ लिखी, जो अत्यंत प्रचलित हुई। उसे अमेज़न के बेस्टसेलर में स्थान मिला। कोयला उद्योग के कर्मियों पर लिखी ‘आसमां में सुराख’, उनकी अगली कृति हुई, जो अगस्त, 2021 में प्रकाशित हुई। इस किताब को भी अमेज़न का बेस्ट सेलर होने का गौरव प्राप्त है। कोयला उद्योग विषय पर तीन किताबों की आखिरी कड़ी के रूप में श्री मिश्र ने ‘अंधेरा उजाला’ लिखी, जिसका प्रकाशन अप्रैल, 2022 में हुआ। कोयला कर्मवीरों और कोयला उद्योग के इतिहास पर आधारित यह किताब भी अमेज़न की बेस्टसेलर बनी।
कोयला उद्योग शृंखला के बाद श्री मिश्र ने अपनी रुचि उपन्यास लेखन में दिखाई। ‘कमली’ उपन्यास, उसी रुचि का फल है। इस उपन्यास को श्री मिश्र ने हमारे देश की बेटियों को समर्पित किया है।
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