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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palप्रिय पाठकों, प्रस्तुत है मेरी चयनित कविताओं के संग्रह का दूसरा संस्करण। ये कविताएँ मैंने अपने व्यक्तिगत अनुभवों, दैनिक जीवन में होने वाली घटनाओं, सामाजिक सरोकार के विषयों, हिंदी के प्रचार-प्रसार के प्रयासों, आध्यात्मिक भक्ति और शक्ति की महिमा तथा प्रेम, स्नेह, द्वेष, अभिव्यक्ति आदि के संदर्भ में लिखी हैं। इनमें से कुछ कविताएँ उन क्षणिक अनुभवों पर आधारित प्रेरणाओं के रूप में क्षणिक होती हैं। मेरा प्रयास अधिकांश कविताओं के साथ तुकबंदी करके इस ज्ञान को लोगों तक पहुंचाना है।
संजय यादव
प्रस्तुत पुस्तक "काव्य मंजरी" के लेखक डा संजय यादव ने 1985 में विज्ञान में स्नातकोत्तर (एमएससी) और 1990 में पीएचडी (भौतिकी) की डिग्री प्राप्त की। वर्ष 1989 में उनको हरियाणा राज्य विज्ञान और तकनीकी विभाग में परियोजना अधिकारी के रूप नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने अपनी योग्यता और कर्मठता से सभी को प्रभावित किया। वर्ष 1995 में उन्होंने वैज्ञानिक बी के रूप में राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला में कार्यभार संभाला। इसी दौरान अपनी कुशलता एवं कार्यक्षमता से अपने अधिकारियों और प्रबंधन को हमेशा प्रभावित करते हुवे अगस्त 2022 में मुख्य वैज्ञानिक एवं प्रभागाध्यक्ष के रूप में सेवा निवृत्त हुवे। साथ ही साथ वर्ष 2013 से अभिनव अनुसंधान अकादमी में प्रोफेसर के पद पर भी अपना उत्तरदायित्व भलीभांति निभाया।
राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला में किए गए उनके शोध कार्यों को देश तथा विदेश में सफलता तथा मान्यता मिली। विज्ञान के क्षेत्र में उनके 500 से अधिक छपे शौधपत्र, विभिन्न पत्र पत्रिकाओं; राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और संगोष्ठियों में प्रस्तुत शौधपत्र व व्याख्यान; पेटेंट्स व कॉपीराइट; स्नाकोत्तर और पीएचडी की थिसिसों का सुपरविजन, निरीक्षण एवं मूल्यांकन; संस्थागत पॉलिसी दस्तावेज; परियोजना रिपोर्ट्स; राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पहचान और पुरुस्कार तथा विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय महत्व की समितियों में किए गए उनके योगदान को सहज ही भुलाया नही जा सकता।
विज्ञान के साथ ही साहित्य में उनकी रुचि और साहित्य सृजन की ललक एक अनूठा संगम है। इसी रुचि का परिणाम है यह पुस्तक "काव्य मंजरी"।
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