एक हालिया शोध के अनुसार विश्व की लगभग 80 प्रतिशत आबादी आज अवसाद ग्रस्त है और विडम्बना यह है कि उन्हें पता ही नहीं है कि वह बीमार हैं. जब तक बीमारी के लक्षण बाहर आते हैं तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. पति-पत्नी के संबधों में रिक्तता, बच्चों का उग्र स्वभाव, परिजनों से दूरी और कभी-कभी तो आत्महत्या तक सब 'खुशियों और आनंद से वंचित इस जीवन शैली का ही दुष्परिणाम हैं. सुख बटोरने के चक्कर में ना तो हम परिवार को समय दे पाते हैं और ना ही खुद को. यह तनावग्रस्त जीवन अन्तत