ख़्वाहिश चाँद को छूने की बचपन से रही है। और मैं चाँद को छुने के लिए बचपन से हर वो प्रयास करता आया हूँ जो प्रयास हमें वहाँ तक ले जा सकते है। जिसका रास्ता चाँद के लिए जाता हो बचपन में बहुत सारे ख़्वाब हुआ करते थे। मैं हमेंशा से सोचता था कि एक दिन बहुत दूर जाऊँगा एक दिन मैं चाँद पर घर बनाऊँगा और फिर मंज़िल के रास्ते में क्या और कैसे मोड़ आए वो सब इस किताब में संछेप में बताया गया है।