'ला-हासिल ' इश्क़, फिराक और ख्वाबों के इर्द-गिर्द घूमती गजलों एवं शेरो का संग्रह है। मुकम्मल ख्वाबों के साथ-साथ अधूरे इश्क़ को बयां करती गजले उस शायर की जिंदगी को बखूबी बयां कर रही है जो अपने हर ख़्वाब को तो मुकम्मल कर रहा है पर इश्क़ में वो ला-हासिल ही रहा। शायद ये गजले आपकी जिंदगी के भी किसी हिस्से को बयां करे।