“लाल किताब ग्रहफल विचार” संशोधित सन्सकरण पूरा करते-करते एक बात दिमाग में बैठ गई कि पिछले आठ साल में इस ग्रन्थ में जो समझने की कोशिश करता रहा वो दरअसल इसमें है ही नहीं ! पाँच किताबों का यह ग्रन्थ दरअसल “कर्म और संस्कार” का संगम है ! मुझे कहने में कोई हिचकचाहट नहीं जो मैं या मेरे साथी इसको समझते रहे वो यह हैं, इस ग्रन्थ का आधार “अध्यात्म” है !
लाभ-हानि, यश-अपयश, जीना-मरना सब कुदरत के हाथ और ग्रन्थकार भी लिखता है कि “दुनियावी हिसाब किताब है कोई दावा-ए-खुदा