Share this book with your friends

Mahavakyam / महावाक्यम् निवृत्तिभाष्य

Author Name: Shri Bhagavatananda Guru | Format: Paperback | Genre : Religion & Spirituality | Other Details

वेदों में ब्रह्म का बोध कराने वाले संक्षिप्त किन्तु परिपूर्ण वाक्यों को महावाक्य कहते हैं। शैव मत में चार, वैष्णव मत में पांच, सौर मत में एक, स्कान्द मत में बाईस, गाणपत्य मत में आठ, शाक्त मत में एक तथा सबों का समन्वय करने वाले निग्रह मत में सर्वाधिक पच्चीस महावाक्यों की परम्परा है। प्रस्तुत ग्रन्थ लघुकाय होने पर भी सभी महावाक्यों का समन्वय करने वाले श्रीनिग्रहाचार्य के द्वारा विरचित सानुवाद निवृत्तिभाष्य से युक्त होने से अत्यन्त उपयोगी है। निवृत्तिमार्ग की ओर अग्रसर मुमुक्षुओं के लिए यह उत्तम पाथेय है। सभी सम्प्रदायों के निमित्त इसमें सौदार्य सर्वाचार्यप्रशस्ति एवं न्यासविधान का भी समावेश आचार्यपाद ने किया है। श्रीनिग्रहाचार्य को स्वप्न में सूर्यदेव ने सौर महावाक्य का उपदेश करके भाष्यप्रेरणा प्रदान की थी। महावाक्यों का उपदेश, श्रवण अथवा उनपर लेखन करने का अधिकार सबों को नहीं होता है अतएव अपने वर्णाश्रमाचार के अनुरूप समीक्षा करते हुए ही इनका अनुशीलन करना श्रेयस्कर होगा, ऐसी पाठकों से प्रार्थना तथा अपेक्षा है।

Read More...
Paperback
Paperback 150

Inclusive of all taxes

Delivery

Item is available at

Enter pincode for exact delivery dates

Also Available On

श्रीभागवतानंद गुरु

श्रीमन्महामहिम विद्यामार्तण्ड श्रीभागवतानंद गुरु (श्रीनिग्रहाचार्य) भारत के वरिष्ठ धर्माधिकारी एवं लेखक हैं | बाल्यकाल से ही सनातन धर्म के ग्रन्थों एवं विषयों पर व्याख्यान तथा लेखन करना इनकी विशेषता रही है | इन्होंने हिन्दी, अंग्रेजी और संस्कृत में अनेकों पुस्तकों का लेखन किया है |  

Read More...

Achievements

+9 more
View All