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man manthan / मन मंथन मेरे मन के उदगार

Author Name: Maya Mangla, Abhay Mangla | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

मंथन अर्थात चिंतन  _मनन जो निरंतर हमारे भीतर बहता रहता है। जो हमारे ना केवल व्यक्तित्व को बल्कि हमारी प्रतिभा को भी प्रभावित करता है। अपने इस नवांकुर काव्यसंग्रह (मन मंथन )का पाठक बनने के लिए मैं आप सभी का हृदय से आभार व्यक्त करती हूं।
 लेखन वास्तव में सृजन ही है और इसके लिए कल्पना में गोते लगाने से बेहतर है, वास्तविक भाव भूमि में उतरना ।यदि समाज और विचारों में आए बदलाव को जीना हो तो काव्य ही वह विधा है, जो आपको समुद्र मंथन के कलश से अमृत पान करा सकती है। समय-समय पर समुद्र की छाती पर उठती गिरती लहरों की तरह ही ,मैंने भी अपने मन के मंथन से मोती एकत्र किए और माला रूप में आपके सामने रखा ।इसे आपकी सराहना की अपेक्षा है ।यह काव्य सभी आयु वर्ग के लिए है। इसे युवावस्था तक पहुंचाने के लिए आपके सुझाव भी प्रशंसनीय रहेंगे ।
आपकी नवोदित लेखिका 
माया मंगला

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माया मंगला, Abhay Mangla

मेरा जन्म दिनांक 29.4 .1958 को दिल्ली में हुआ बचपन से पढ़ाई की और अति रुचि तो थी ही ,लेखन की प्रवृत्ति कब अंकुरित होने लगी पता ही नहीं चला। समाज ,देश ,काल, वातावरण, विचार और शिक्षा सब समय समय पर मेरे मन को मथते रहे और मैं बिलोनी बन मथती रही अपने मन को। इन्हीं विचारों के साथ साथ मेरा जीवन एक इतिहास अध्यापिका का आकार लेने लगा, परिणामत: एक सरकारी विद्यालय में पहले सामाजिक   ज्ञान और फिर उन्नति प्राप्त करते हुए इतिहास की प्राध्यापिका का पद से सन 2018 में सेवानिवृत हुई। अपनी इस नवांकुर काव्य संग्रह मन मंथन का पाठक बनने के लिए मैं आप सभी का हृदय से आभार व्यक्त करती हूं। यह काव्य सभी आयु वर्ग के लिए है इसे युवावस्था तक पहुंचाने के लिए आपके सुझाव भी प्रशंसनीय रहेंगे।
आपकी नवोदित लेखिका 
माया मंगला

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