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Marghat / मरघट Jeevan Ek Rahasya Hai! / जीवन एक रहस्य है!

Author Name: Surendra Kushwaha | Format: Paperback | Genre : Self-Help | Other Details

जन्म के बाद मृत्यु निश्चित है और बाकी सब चीजें अनिश्चित है। और जो जीवन में निश्चित है उसे हम न जानकर उसके पीछे दौड़ते रहते हैं जो जीवन में मिल भी सकता है, और नहीं भी मिल सकता है। धन के पीछे भागते हैं लेकिन वह मिल भी सकता है, और नहीं भी मिल सकता। स्वास्थ्य के पीछे भागते हैं स्वास्थ्य मिल भी सकता है, और नहीं भी मिल सकता है। ज्ञान के पीछे भागते हैं ज्ञान मिल भी सकता है, और नहीं भी मिल सकता है। धन आए या न आए, स्वास्थ्य मिले या न मिले, ज्ञान मिले या न मिले लेकिन मृत्यु अवश्य आ जाती है। अमीर से अमीर व्यक्ति को भी मृत्यु नहीं छोड़ती है, और गरीब से गरीब व्यक्ति को भी मृत्यु नहीं छोड़ती है। सम्राट को भी मौत नहीं छोड़ती है और भिखारी को भी मौत नहीं छोड़ती है। अगर कोई चीज है इस दुनियां में जिसकी दृष्टि में सभी बराबर हैं तो वह है मौत। 

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सुरेंद्र कुशवाहा

आमतौर से जैसा हम जीवन को जानते हैं, इस संसार को जानते हैं वैसा ना तो यह जीवन है और ना हीं यह संसार है। क्योंकि हम चाहते कुछ और हैं, और होता कुछ और है। और यदि यह जीवन और संसार वैसा हीं होता जैसा की हम इसे जानते हैं तो वहीं होना चाहिए था जो हमने जाना और जो चाहा। वास्तव में देखा जाए तो जीवन और संसार तो वह है जो हम नहीं जानते हैं। इसलिए जीवन में वहीं होता है जो अनजाना है। हम जानते क्या हैं इस साठ सत्तर साल के जीवन में कुछ भी तो नहीं। जन्म होता है तो उस समय हमारा न नाम होता है, न जाति होती है, न धर्म होता है, न संस्कार होता है और ना कुछ होने का अहंकार होता है। 

फिर कुछ दिनों बाद हमारा नाम सुरेंद्र रख दिया जाता है, जाति कुशवाहा हो  जाती है, धर्म हिंदू हो जाता है, संस्कार का जामा पहना दिया जाता है और मै यह हूं रूपी अहंकार का महल निर्मित हो जाता है। वास्तव में यदि देखा जाए तो क्या हम सुरेंद्र कुशवाहा हैं…? नहीं क्योंकि जब हमारा नामकरण नही हुआ था तब भी हम थे और जब यह शरीर मिट जायेगा तब भी हम होंगे।

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