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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palमयूख अर्थात किरण इस किताब का शीर्षक है।किरण का क्या अर्थ होता है? जब हर ओर अंधेरा हो और अचानक से कोई संबल और आश्रय देता है तब वो एक किरण के समरूप होता है लेकिन सहसा ही एक प्रश्न मन में आता है क्या किरण को ढूंढना पड़ता है? या किरण यूं ही मिल जाती है?
किरण तो हर मनुष्य हर जीव में रक्त के साथ प्रवाह करती है।
व्यर्थ की दौड़ में मनुष्य इससे जीवन भर अनभिज्ञ रह जाता है।किरण वो सोत्र है जिससे व्यक्ति अपने शीर्ष को प्राप्त कर सकता है।किरण एक जीवन संगनी सी होती है जो परछाईं नहीं अपितु समता के साथ चलती है।
फराह नसीम
मैं कविता कब से लिख रही हूं ये एक मनोविनोद प्रश्न है।कविता लिखने का पहला प्रयास मैंने तब किया जब स्वतंत्रता दिवस पर अपने विद्यालय में देश भक्ति पे गीत सुना तब घर जा के एक कविता लिखने का प्रयास किया था।उसके बाद बहुत सी कविताएं लिखीं फिर समय न मिलने के कारण कुछ दिन तक इस पर विराम लगा रहा।विगत कुछ वर्षों से निरंतर लिख रहीं हूं।Your Quote एक अच्छा माध्यम बना अपने लेख,कहानियां, कविताएं पाठकों तक पहुंचाने का,हर पोस्ट पे मिलती प्रशंसा ने मुझे सदैव संबल ही दिया है।अच्छा कभी कभी जब इन कविताओं को खुद पढ़ती हूं तो लगता है जैसे कितने सार्थक है हर शब्द या ये और भी भाव व्यक्त कर सकती थीं।
मुझ में ये गुण कहाँ से आएं ये तो शायद मेरी प्यारी माँ और श्रद्धास्पद स्वर्गवासी पिता जी का ही आशीर्वाद है।पिता में मैंने सदैव एक कलाकार को देखा है जो अपनी प्रतिभा निखार नहीं पाया या उनको संसार के प्रपंचों ने इतना समय ही नहीं दिया था।
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