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MOTHER: A STORY / माँ एक गाथा

Author Name: AJAY AMITABH SUMAN | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details
ये कविता संसार की सारी माताओं की चरणों में कवि की सादर भेंट है.  इस कविता में एक माँ के आत्मा की यात्रा स्वर्गलोक से ईह्लोक तक विभिन्न चरणों में दिखाई गई है . माँ के आत्मा की यात्रा इहलोक पर गर्भ में अवतरण के बाद शिशु , बच्ची ,  तरुणी , नव युवती , विवाहिता , माँ ,  सास और दादी के रूप में क्रमिक विकास , देहांत और अन्तत्त्वोगात्वा  देहोपरांत तक दिखाई गई है। यद्दपि कवि जानता है कि माँ के विभिन्न पहलुओं को शब्दों में सीमित नहीं किया जा सकता, फिर भी कवि ने ये छोटा प्रयास किया है।
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अजय अमिताभ सुमन

जीवन में बहुत सारी घटनाएँ ऐसी घटती है जो मेरे ह्रदय के आंदोलित करती है. फिर चाहे ये प्रेम हो , क्रोध हो , क्लेश हो , ईर्ष्या हो, आनन्द हो , दुःख हो . सुख हो, विश्वास हो , भय हो, शंका हो , प्रसंशा हो इत्यादि, ये सारी घटनाएं यदा कदा मुझे आंतरिक रूप से उद्वेलित करती है. मै बहिर्मुखी स्वाभाव का हूँ और ज्यादातर मौकों पर अपने भावों का संप्रेषण कर हीं देता हूँ. फिर भी बहुत सारे मुद्दे या मौके ऐसे होते है जहाँ का भावो का संप्रेषण नहीं होता या यूँ कहें कि हो नहीं पाता . यहाँ पे मेरी लेखनी मेरा साथ निभाती है और मेरे ह्रदय ही बेचैनी को जमाने तक लाने में सेतु का कार्य करती है. चिर मान रहे, चिर आन रहे, ईश्वर तेरा वरदान रहे। भारत महान चिर कल्पों से,चिर कल्पों तक गुणगान रहे। life is not, what right you have taught, Life is, infact what wrong you have fought. अनुभव का क्या मैं प्रमाण दुँ, कैसे तुझको भगवान दुँ। Knowing the River, Without a Swim, is beating a Lion, But only in Dream. इंसान की ये फितरत, है अच्छी खराब भी, दिल भी है दर्द भी है, दाँत भी दिमाग भी । A man, who speaks many thing, Seldom speaks any thing. सबूत,गवाह,अख़बार खा गई, दीमक सारे मक्कार खा गई।
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