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Vivek SreedharAuthor of Ketchup & Curryहालांकि पहाड़ों में जीवन को जीना बहुत ही कठिन होता है, परन्तु वहां की प्रकृति, प्राकृतिक सौन्दर्य, लोगों का भोलापन व आत्मसंतोषी जीवन बहुत ही लुभावना सा लगता है । जिधर भी देखें, सब सुंदर ही सुंदर दिखता है । सुंदर है तन, सुंदर है मन, सुंदर है यहां जन-जीवन, सुंदर नदियां, सुंदर पर्वत, सुंदर हैं नगर-वन-उपवन । अब अगर पहाड़ों की समस्त सुंदरता का वर्णन किसी प्रतीक के रूप में करना हो या वहां की संस्कृति, सभ्यता व परंपरा को निकट से देखना हो तो अपने जीवन का एक दिन पहाड़ों के किसी भी गांव के पंदेरे पर बिता दो । बस उस पंदेरे में आपको पूरे गांव का सम्पूर्ण परिवेश दिखने को मिल जाएगा । पंदेरा उत्तराखण्डी लोक शब्द है । पंदेरा का अर्थ है, गांव का पनघट अर्थात गांव का प्राकृतिक जलस्थल । सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक पंदेरे में हलचल सी मची रहती है
डॉ. राजेश्वर उनियाल
भारत के माननीय राष्ट्रपति से सम्मानित हिन्दी साहित्यकार डॉ. राजेश्वर उनियाल का जन्म 26 अक्टूवर 1959 को श्रीनगर गढ़वाल (उत्तराखण्ड) में हुआ । आपने पत्रकारिता में स्नातकोत्तर तथा हिन्दी व अंग्रेजी में एम.ए. करने के साथ ही मुंबई विश्वविद्यालय से हिन्दी लोक-साहित्य में पी-एच.डी.की उपाधि भी प्राप्त की है । आपकी शैल सागर, मैं हिमालय हूँ , उत्तरांचल की कविताएं (सं) व Mount ञ Marine - काव्यकृतियां, पंदेरा व भाडे का रिक्शा - उपन्यास, उत्तरांचल की कहानियां(सं), डरना नहीं पर... कहानियाँ, तीलू रौतेली-नाटक एवं उत्तरांचली लोक-साहित्य व हिन्दी लोक साहित्य का प्रबंधन आदि बारह साहित्यिक पुस्तकों के साथ ही ग्यारह वैज्ञानिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । आपको माननीय राष्ट्रपति, महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी, व भारत सरकार का डा.राजेन्द्र प्रसाद पुरस्कार तथा 35 अन्य पुरस्कार प्राप्त हुए हैं । आप एक ओजस्वी वक्ता, कवि व कुशल मंच संचालक के साथ ही सामाजिक, लोक साहित्य व राजभाषा विषय के विशेषज्ञ के रूप में कई संस्थाओं आदि के अतिथि वक्ता भी हैं । आपके आकाशवाणी, दूरदर्शन एवं निजी चैनलों से कई गीत, कविताएं, वार्ताएं, साक्षात्कार व कार्यक्रम प्रसारित होते रहते हैं । आपके हिन्दी एवं उत्तराखण्डी (गढ़वाली, कुमाऊँनी) की कई फिल्मों व एलबमों में गीत व कहानियॉ प्रदर्शित हुई हैं । वर्तमान में आप मुंबई में भारत सरकार के अंतर्गत उप निदेशक (राजभाषा) के पद पर कार्यरत हैं एवं मुंबई सहित राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की कई साहित्यिक, सामाजिक व सांस्कृतिक संस्थाओं में सक्रिय हैं । इसी के साथ आप महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के सदस्य भी हैं । uniyalsir@gmail.com/9869116784/8369463319
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