सामंत की स्थिति उस फटे हुए कपड़े की तरह थी, जिससे हवा जब चाहे अंदर-बाहर कर सकती थी साथ ही हालात का मजाक उड़ा सकती थी। पहले तो पड़ोसी, फिर पूरा गांव जान गया था उसकी बेबसी को, फिर तो कई लोगों ने उसके हालात का मजाक उड़ाना भी शुरू कर दिया था। सामंत अब अपने ऊंटनी के पास आता और चुपचाप बैठ जाता। कुछ क्षण बीते भी नहीं कि उसकी आंखों से आंसू झरने की तरह टपकने लगते।