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satya se paramstye ki or / सत्य से परमसत्य की ओर आत्मीय मित्र को पत्र

Author Name: Manoj Kumar Badlani | Format: Paperback | Genre : Others | Other Details

मैं मनोज कुमार बदलानी जिंदगी के उतार-चढ़ाव से गुजरता अपने जीवन अनुभव को आपके साथ बाटने आ गया हूं। बचपन से ही मुझे आध्यात्मिकता धर्म संस्कृति भारतीय शास्त्रों में रुझान रहा है मैं हमेशा यह जानने का उत्सुक रहा हू की भगवान है कौन ,क्या वह मंदिर में है मस्जिद में है चर्च में है गुरुद्वारे में है कहाँ  है वह अगर सत्य एक है तो फिर क्यों उन्हें अलग-अलग बताया गया है ।आखिर क्यों हम उसे नियम व कायदे में बांधते  हैं । मनुष्य जीवन का लक्ष्य मोक्ष बताया गया है, पर हम कैसे मुक्त हो सकते हैं क्या हम प्रकृति से जुड़कर परम सत्य तक पहुंच सकते हैं इस पर मेरी जिज्ञासा गहराई से भी गहराई तक जा पहुंची और मैंने सत्य को खोज निकाला इसकी प्रेरणा मुझे मेरे आत्मीय मित्र कुलदीप सिंह राव( स्वयं शिव) से मिली जिनके पास रहकर मैंने सत्य को समझा व जाना और मेरे प्रिय मित्र लोकेंद्र सिंह राठौड़ को समर्पित कर दी जो मानव जाति को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा वह आपके मन में जिज्ञासा उत्पन्न करेगा ताकि परम सत्य पाया जा सके जिससे हम मुक्त हो जाए शून्य 0 हो जाए इस सांसारिक जीवन से।

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मनोज कुमार बादलानी

मैं मनोज कुमार बदलानी जिंदगी के उतार-चढ़ाव से गुजरता अपने जीवन अनुभव को आपके साथ बाटने आ गया हूं। बचपन से ही मुझे आध्यात्मिकता धर्म संस्कृति भारतीय शास्त्रों में रुझान रहा है मैं हमेशा यह जानने का उत्सुक रहा हू की भगवान है कौन ,क्या वह मंदिर में है मस्जिद में है चर्च में है गुरुद्वारे में है कहाँ  है वह अगर सत्य एक है तो फिर क्यों उन्हें अलग-अलग बताया गया है ।आखिर क्यों हम उसे नियम व कायदे में बांधते  हैं । मनुष्य जीवन का लक्ष्य मोक्ष बताया गया है, पर हम कैसे मुक्त हो सकते हैं क्या हम प्रकृति से जुड़कर परम सत्य तक पहुंच सकते हैं इस पर मेरी जिज्ञासा गहराई से भी गहराई तक जा पहुंची और मैंने सत्य को खोज निकाला इसकी प्रेरणा मुझे मेरे आत्मीय मित्र कुलदीप सिंह राव( स्वयं शिव) से मिली जिनके पास रहकर मैंने सत्य को समझा व जाना और मेरे प्रिय मित्र लोकेंद्र सिंह राठौड़ को समर्पित कर दी जो मानव जाति को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा वह आपके मन में जिज्ञासा उत्पन्न करेगा ताकि परम सत्य पाया जा सके जिससे हम मुक्त हो जाए शून्य 0 हो जाए इस सांसारिक जीवन से।

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