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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palशैल सागर, डॉ. राजेश्वर उनियाल की सुंदर काव्यकृति है । आरंभ में ऐसा लगता है कि कवि ने एक काल्पनिक काव्यरचना की है, परन्तु जैसे-जैसे इसके अध्याय बढ़ते जाते हैं, वैसे-वैसे कवि ने एक ओर हिमालय की महानता व उत्तरांचल का संपूर्ण दर्शन कराया है, वहीं साथ ही हमें सागर की गहराईयों तक भी पहुंचाया है । कहीं काल्पनिक, कहीं शाश्वत सत्य, कही भौगोलिक तो कहीं प्रकृति के सौंदर्य का वर्णन करते हुए हमें आनन्द की गहराईयों तक पहुंचा दिया है । हिन्दी साहित्य के जगत में इस प्रकार की काव्य रचनाएं बहुत कम हुई है । परन्तु जब भी ऐसी रचनाएं दिखने को मिलती हैं तो इससे साहित्य जगत में हलचल सी मच जाती है । मुझे पूरा विश्वास है कि हिन्दी पाठक व साहित्य जगत शैलसागर का भी भरपूर स्वागत करेंगा ।
डॉ. राजेश्वर उनियाल
भारत के माननीय राष्ट्रपति से सम्मानित डॉ. राजेश्वर उनियाल का जन्म 26 अक्टूबर 1959 को श्रीनगर गढ़वाल (उत्तराखण्ड) में हुआ । आपने पत्रकारिता में स्नातकोत्तर तथा हिन्दी व अंग्रेजी में एम.ए. करने के साथ ही मुंबई विश्वविद्यालय से हिन्दी लोक-साहित्य में पी-एच.डी. की उपाधि भी प्राप्त की है । आपकी अब तक , गंगा पहाड़ों की, उत्तरांचल की कविताएं (सं) व Mount n Marine- काव्यकृतियां, पंदेरा व भाडे का रिक्शा- उपन्यास, उत्तरांचल की कहानियां (सं) व डरना नहीं पर... कहानियाँ, तीलू रौतेली- नाटक एवं उत्तरांचली लोक-साहित्य व हिन्दी लोक साहित्य का प्रबंधन आदि बारह साहित्यिक पुस्तकों के साथ ही ग्यारह वैज्ञानिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा सत्रह अन्य प्रकाशनाधीन हैं । इसी के साथ ही आपके अब तक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में 2500 से अधिक रचनाओं का प्रकाशन कार्य सम्पन्न हुआ है । आपको भारत के माननीय राष्ट्रपति के साथ ही महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी व भारत सरकार का डा. राजेन्द्र प्रसाद पुरस्कार तथा 35 अन्य पुरस्कार प्राप्त हुए हैं । आपके आकाशवाणी, दूरदर्शन एवं निजी चैनलों से कई गीत, कविताएं, साक्षात्कार, वार्ताएं व विभिन्न कार्यक्रम प्रसारित होते रहते हैं । आपके हिन्दी व उत्तराखंडी गीतों पर कई एल्बम भी उपलब्ध हो चुके हैं तथा आपकी कहानियों पर शॉर्ट फिल्म निर्मित होने के साथ ही कई नाटक भी प्रदर्शित हो चुके हैं । वर्तमान में आप मुंबई में भारत सरकार के अंतर्गत उप निदेशक (राजभाषा) के पद पर कार्यरत हैं एवं मुंबई सहित राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की कई साहित्यिक, सामाजिक व सांस्कृतिक संस्थाओं में सक्रिय हैं । इसी के साथ आप महाराष्ट्र राज्य हिन्दी-साहित्य अकादमी के सदस्य भी हैं।
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