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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palशायद
हारते वक्त हमने देखा था, ज़िंदगी सामने खड़ी मुस्कुरा रही थी। हम चाहते तो उसे आवाज दे सकते थे, पर हमने हार को चुना। हमें अपना जमीन पर औंधे मुँह पड़े रहना बेहतर लगा। जहाँ से पुरा आसमान साफ दिखता था, रातों को तारें चमकते थे, चाँद मुस्कुराता था और हम एक दुसरे की हथेलियों पर परछाई बनाते थे। जिसकी शक्ल हुबहु जिंदगी से मिलती थी।
ये कविताएं हैं, शायद कविता ही है जहाँ मैं पुरा जिया हूँ, पुरा का पुरा बिना किसी बहाने के।
यहाँ मैं हूँ, सिर्फ मैं और सिर्फ मेरे लिए। मेरी शक्ल जिंदगी की परछाईं से मिलती है और शायद आपकी भी, चलिए देख लेते हैं।
Unité Publication एकल पुस्तक, संकलन, उपन्यास आदि प्रकाशित करता है, जिसे उच्चतम और नवीनतम प्रयासों के द्वारा अथक रूप से कुशलतापूर्वक किया जा रहा है। इसका एकमात्र उद्देश्य 'नवोदित लेखकों को अवसर और सर्वोच्च मंच प्रदान करना है ताकि वे अपनी प्रतिभा को दुनिया के सामने पेश कर सकें और इस क्षेत्र में आगे बढ़ सकें।
अधिक जानकारी के लिए आप हमसे संपर्क कर सकते हैं: इंस्टाग्राम: @unite.publication_
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अनुश यादव
अनुश यादव, आसाम के तिनसुकिया प्रान्त के रहने वाले बहुत ही अंतर्मुखी और अपनी ही दुनिया में रहने वाले सरल व्यक्तित्व के व्यक्ति हैं। लिखना इनकी जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण और खूबसूरत हिस्सा रहा है। इनका लेखन अलबर्ट कामू, नित्से, बुकोवोस्की, मानव कौल से प्रेरित है और इसका असर इनके व्यक्तित्व पर भी साफ देखा जा सकता है। इनकी कविताएं जिंदगी की छत हैं, जिंदगी का वो हिस्सा जहाँ व्यक्ति अपने सारे कपड़े उतारकर नंगा खड़ा होता है और जिंदगी को निहारता है, थोड़ा उपर उठकर एक दर्शक की भांति और फिर कुद जाता हैं, जिंदगी के उस पार जहाँ वो अब तक जिंदा है।
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