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ShrimadBhagavadGita Hindi Tanka Chhan‍d Mein Bhagwan Kaa Geet Adhyaa Solah Daivasura Sampada Vibhag Yoga Bhag Solah / श्रीमद्भगवद्गीता हिन्‍दी तांका छन्‍द में भगवान् का गीत अध्‍याय-सोलह-दैवासुर संपद् विभाग योग भाग-सोलह

Author Name: Dr. Umesh Puri 'Gyaneshwer" | Format: Paperback | Genre : BODY, MIND & SPIRIT | Other Details

'गीता' भगवान् का गीत है जिसमें 18 अध्‍याय में 700 श्‍लोक हैं। इन 18 अध्‍याय को 
तांका छन्‍द में 18 पुस्‍तकों में अभिव्‍यक्‍त किया गया है। इन तांका संग्रह के भाग पन्‍द्रह 
में गीता के अध्‍याय सोलह 'दैवासुर संपद् विभाग योग' के 24 श्‍लोक को तांका की पांच 
लाईन में क्रमश: 5-7-5-7-7 अक्षरों के क्रम वाली 31 अक्षरीय कविता में अभिव्‍यक्‍त 
किया गया है। यह तांका संग्रह आपको सच्‍ची सुख-शान्‍ति और सफलता का अनुपम मार्ग 
बताएगा। इस पुस्‍तक को पढ़कर आप दुविधा और मोह से ग्रस्‍त पीड़ा से मुक्‍त होकर 
निर्भय हो जाएंगे। भगवान् का गीत आपके जीवन को सार्थक कर सका तो मेरा परिश्रम 
स्‍वत: ही सार्थक हो जाएगा। एक बार अवश्य पढ़ें और अपने जीवन को एक नई दिशा 
प्रदान करें। शेष हरि इच्‍छा।

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डॉ. उमेश पुरी 'ज्ञानेश्वर'

नाम-डॉ. उमेश पुरी 'ज्ञानेश्वर'
जन्मतिथि-2 जुलाई 1957
शिक्षा-बी.-एस.सी.(बायो), एम.ए.(हिन्दी), पी.-एच.डी.(हिन्दी)
सम्प्रति-ज्योतिष निकेतन सन्देश(गूढ़ विद्याओं का गूढ़ार्थ बताने वाला हिन्दी मासिक) 
पत्रिका के सम्‍पादन व लेखन कार्य में 2004 से 2018 तक संलग्‍न रहे। सन्‌ 1977 से 
ज्योतिष सलाह एवं पुस्‍तक लेखन के कार्य में निरन्‍तर संलग्न हैं। 
अन्य विवरण पुरस्कार आदि -
- विभिन्न विषयों पर 77 पुस्तकें प्रकाशित एवं अन्य पुस्तकें प्रकाशकाधीन।
- 3 ईबुक्स ऑनलाईन स्मैश वर्डस पर प्रसारित।
- 26 ईबुक अॅमेजन किंडल डायरेक्‍ट पब्‍लिशिंग पर ऑनलाईन प्रसारित।
- 85 ईबुक गूगल प्‍ले बुक्‍स पर ऑनलाईन प्रसारित।
- राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में अनेक लेख, कहानियां एवं कविताएं प्रकाशित।
- युववाणी दिल्ली से स्वरचित प्रथम कहानी 'चिता की राख' प्रसारित।
- युग की अंगड़ाई हिन्दी साप्ताहिक में उप-सम्पादक का कार्य किया।
- क्रान्तिमन्यु हिन्दी मासिक में सम्पादन सहयोग का कार्य किया।
- भारत के सन्त और भक्त पुस्तक पर उ.प्र.हिन्दी संस्थान द्वारा 8000/- रू. का वर्ष 
1995 का अनुशंसा पुरस्कार प्राप्त।
- रम्भा-ज्योति(हिन्दी मासिक) द्वारा कविता पर 'रम्भा श्री' उपाधि से अलंकृत।
- चतुर्थ अन्तर्राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन-1989 में ज्योतिष बृहस्पति उपाधि से अलंकृत।
- पंचम अन्तर्राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन-1991 में ज्योतिष भास्कर उपाधि से अलंकृत।
- फ्यूचर प्वाईन्ट द्वारा ज्योतिष मर्मज्ञ की उपाधि से अलंकृत।
- 'विवश्‍ता' कहानी संग्रह में कहानी 'आशीर्वाद' प्रकाशित।
- 'रिश्‍ता' लघुकथा संग्रह में पांच लघुकथाएं दिव्‍यांग, पैसा ही सबकुछ है, मोल, मोल-भाव 
व सहारा प्रकाशित।
- 'साधना' कहानी संग्रह में 'अनोखा मिलन' कहानी प्रकाशित।
- 'पिता' तांका संग्रह और 'यह कैसा प्‍यार है' उपन्‍यास नोशन प्रेस से पेपरबैक में 
प्रकाशित।
- श्रीमद्भगवद्गीता हिन्‍दी तांका छन्‍द में भगवान् का गीत भाग-एक, भाग दो, तीन, चार, 
पांच, छह, सात, आठ, नौ, दस, ग्‍यारह, बारह, तेरह व चौदह नोशन प्रेस से पेपरबैक में 
प्रकाशित। 
- 'ऋग्वेद-वाणी', 'यजुर्वेद-वाणी', 'सामवेद-वाणी' और 'अथर्ववेद-वाणी' पुस्‍तकें नोशन प्रेस से 
पेपरबैक में प्रकाशित।
- 'मध्‍य पाराशरी', 'राहु घमंड क्‍यों तोड़ता है', 'केतु चमकाता क्‍यों है' व 'कालसर्प दोष 
कितना सच' फलित ज्‍योतिष नोशन प्रेस से पेपरबैक में प्रकाशित। 
मेरा कथन-'मेरा मानना है कि जीवन का हर पल कुछ कहता है जिसने उस पल को पकड़ 
कर सार्थक बना लिया उसी ने उसे जी लिया। जीवन की सार्थकता उ

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