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Visit the bookstore"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palयह पुस्तक रिश्तों की दैहिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं की विश्लेषणात्मक व्याख्या आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत करती है।
जिस प्रकार एक पौधे के जीवन के लिए माक़ूल-ज़मीन, खिली-धूप, स्वच्छ-पानी और हवा की छुअन दरकार होती है, उसी तरह किसी भी रिश्ते के लिए देह की ज़मीन, भावना का अहसास और साज-संभाल रूपी समझ की नमी चाहिए होती है।
रिश्तों की संभाल नाज़ुक पौधे की तरह करने के लिए, दैहिक-आवेग, भावनात्मक-आवेश और मनोवैज्ञानिक-पहलुओं को न सिर्फ़ जानना आवश्यक है, बल्कि उन्हें सही समय पर सही दिशा देकर व्यवहार में उतारना भी ज़रूरी होता है।
हमारा समाज क्रांतिकारी परिवर्तनों के दौर से गुज़र रहा है, जिसमें रिश्तों के दामन अहम् व महत्वाकांक्षा के सतत संघर्ष के काँटों में उलझ रहे हैं। यह किताब इस प्रक्रिया को समझते हुए रिश्तों की डगर को आसान बनाने की कोशिश में सहायक होगी। रिश्तों की सरसता और सरलता से ही जीवन का सुख सम्भव है, इसलिए यह किताब आपके पास होना आवश्यक ही नहीं अनिवार्य है।
सुरेश पटवा
अध्ययन और पर्यटन के शौक़ीन सुरेश पटवा स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त सहायक-महाप्रबंधक हैं।
सोहागपुर, होशंगाबाद (मध्यप्रदेश) के मूल-निवासी, वर्तमान में भोपाल रहवासी हैं। वे सागर विश्वविद्यालय से स्नातक स्वर्ण पदक धारक और बैंक में नौकरी करते हुए स्नातकोत्तर मेरिट सूची में दूसरा स्थान धारक रहे हैं।
वे स्टेट बैंक की भेड़ाघाट शाखा से भोपाल होते हुए मुंबई महानगर तक बैंक और जीवन की पाठशाला में दीक्षित हैं। भारत के 1757 से 1857 तक के इतिहास पर उनकी पहली पुस्तक “ग़ुलामी की कहानी” और “पंचमढ़ी की खोज” नामक दूसरी पुस्तक अनसुलझे पहलुओं को अपनी स्पष्टवादी सुलझी शैली से प्रस्तुति के कारण पाठकों द्वारा पसंद की जा रहीं हैं।
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